19 महीने के लंबे इंतजार के बाद वित्त मंत्रालय ने प्याज पर लगे निर्यात शुल्क को हटाने का फैसला किया. 22 मार्च को आया फैसला 1 अप्रैल से लागू हो गया. किसानों को इस फैसले से खासी राहत महसूस हो रही है. इस फैसले के बाद से ही मुंबई और चेन्नई के प्याज निर्यातकों की उम्मीदें दोगुनी हो गई हैं. किसानों को उम्मीद है कि आने वाले समय में शायद प्याज की कीमतें निर्यात की वजह से बढ़ेंगी और उन्हें थोड़ी राहत मिलेगी.
मराठी वेबसाइट अग्रोवन की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी के अंत में मंडी में प्याज की खेप में तेजी आई थी. इसकी वजह से सात मार्च से किसानों को लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो रहा था. परेशान किसानों ने प्रदर्शन शुरू किया और केंद्र सरकार से निर्यात शुल्क खत्म करने की मांग की. सरकार ने पिछले दिनों 20 फीसदी निर्यात शुल्क को हटा दिया है. इसके बाद नासिक में प्याज की कीमतों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल का फर्क देखा जा रहा है.
उम्मीद है कि जल्द ही नए वित्तीय वर्ष में उत्पादकों, व्यापारियों और निर्यातकों को इससे फायदा होगा. प्याज की बड़ी मंडियों में नीलामी का काम मार्च के अंत से बंद हो गया है. ऐसे में अगले 1-2 दिन में प्याज की नई कीमतों के बारे में जानकारी मिल जाएगी. 1 अप्रैल की आधी रात से चेन्नई स्थित कस्टम विभाग में प्याज निर्यात के रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है. मुंबई स्थित कस्टम ऑफिस में भी निर्यातकों का जमावड़ा रहा.
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विशेषज्ञों का कहना है कि प्याज के निर्यात को नियंत्रित करने के लिए भारत का दृष्टिकोण हमेशा से ही अतार्किक रहा है. इसकी वजह से हमेशा कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है और सप्लाई चेन में मुश्किलें आती हैं. सरकार ने पिछले पांच सालों में तीन बार प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. साथ ही एमईपी और बहुत ज्यादा निर्यात शुल्क ने भी इस पर असर डाला है. इस अनिश्चितता से न तो उपभोक्ताओं को लाभ होता है और न ही किसानों को. विशेषज्ञ मानते हैं कि प्रतिबंधों या हैरान करने वाले टैरिफ बदलावों की जगह एक्सपोर्ट कोटा सिस्टम को सही से मैनेज करना चाहिए.
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