महाराष्ट्र के इस जिले में है माता सीता का प्राचीन मंदिर, विधवा महिलाओं के लिए बना शक्ति का केंद्र

महाराष्ट्र के इस जिले में है माता सीता का प्राचीन मंदिर, विधवा महिलाओं के लिए बना शक्ति का केंद्र

एक ग्रामीण और सीता माता मंदिर सौंदर्यीकरण समिति के सदस्य नामदेवराव काकड़े ने कहा कि मंदिर के जीर्णोद्धार काम चल रहा है. हम बेघर महिलाओं,अनाथों और विधवाओं के लिए आश्रय गृह बनाने की अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहे हैं.

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महाराष्ट्र के इस जिले में है माता सीता का प्राचीन मंदिर, विधवा महिलाओं के लिए बना शक्ति का केंद्रमहाराष्ट्र में माता सीता का मंदिर है आकर्षण का केंद्र. (सांकेतिक फोटो)

अयोध्या में रामलला के स्वागत की भव्य तैयारी चल रही है. कल यानी सोमवार को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. भारत के साथ- साथ पूरे विश्व के हिन्दू भगवान राम की भक्ति में डूबे हुए हैं. लेकिन क्या आपको मालूम है कि महाराष्ट्र में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां सीता माता की मूर्ति पहले से ही प्रतिष्ठित है. इस मंदिर में माता सीता की पूजा करने के लिए श्रद्धालु दूर- दूर से आते हैं. पहले महाराष्ट्र के बाहर इस मंदिर के बारे में कोई नहीं जानता था, लेकिन धर्म नगरी अयोध्या में चल रहे समारोह के चलते अब सीता माता के इस मंदिर की भी चर्चा शुरू हो गई है.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मंदिर महाराष्ट्र के यवतमाल जिले के एकांत रावेरी गांव में स्थित है. सीता माता का यह अनोखा मंदिर न केवल एक आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है, बल्कि लाचार, विधवा और अनाथ महिलाओं के लिए आशा की किरण भी है. अभी मंदिर समिति, ग्रामीणों के साथ मिलकर इन महिलाओं के लिए आश्रय केंद्र बना रही है. खास बात यह है कि इस मंदिर में माता सीता के अलावा उनके बेटे लव और कुश की मूर्तियां स्थापित हैं. हलांकि, बीते नवंबर महीने में मंदिर समिति ने सीता माता की एक नई मूर्ति की स्थापना की और पूरे पसिरस का जीर्णोद्धार किया.

मंदिर का जीर्णोद्धार

एक ग्रामीण और सीता माता मंदिर सौंदर्यीकरण समिति के सदस्य नामदेवराव काकड़े ने कहा कि मंदिर के जीर्णोद्धार काम चल रहा है. हम बेघर महिलाओं, अनाथों और विधवाओं के लिए आश्रय गृह बनाने की अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रहे हैं. धन की कमी के बावजूद, हम इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए संकल्पित हैं. उनका कहना है कि जब भगवान राम ने सीता माता का परित्याग किया था, तो उन्होंने इसी क्षेत्र में वाल्मिकी के आश्रम में शरण ली थी. चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के बावजूद उन्होंने अपने बच्चों को पाला.  

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13 लाख रुपये का योगदान दिया

दरअसल, साल 2001 में, शेतकारी संगठन के नेता स्वर्गीय शरद जोशी द्वारा रावेरी में आयोजित एक महिला किसान सम्मेलन के दौरान, जीर्ण-शीर्ण मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया गया था. तब से, राज्य के किसान मंदिर के जीर्णोद्धार में सक्रिय रूप से शामिल हो गए हैं. साल 2015 में अपने निधन से पहले, जोशी ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 13 लाख रुपये का योगदान दिया था. उनकी इच्छा थी कि रावेरी और सीता मंदिर परित्यक्त महिलाओं के लिए शक्ति का प्रतीक बनें. हम उनके सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. 

सीता फार्मिंग की शुरुआत 

शरद जोशी और उनके शेतकारी संगठन ने सीता फार्मिंग की शुरुआत की है, जो महिलाओं को कृषि में नेतृत्व करने के लिए सशक्त बनाती है. वहीं, क्षेत्र के किसानों का मानना है कि कृषि गतिविधियों में महिलाओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए सीता फार्मिंग को लागू करने से कृषि संकट को प्रभावी ढंग से कम किया जा सकता है. संगठन ने लक्ष्मी मुक्ति कार्यक्रम भी शुरू किया है, जिसमें परिवार के पुरुष सदस्यों को जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा या तो महिलाओं के नाम पर स्थानांतरित करने या उन्हें भूमि स्वामित्व में संयुक्त धारक के रूप में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है.

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ग्रामीणों ने कहा कि सीता माता हमारी ग्राम दैवत (ग्राम देवी) हैं. हम मां की दृढ़ता के प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं. वह हर एक महिला के लिए अपनी लड़ाई का साहसपूर्वक सामना करने के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम करती हैं.

 

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