किसान महापंचायत ने MP के कृषि मंत्री को लिखा खत, पराली जलाने पर प्रतिबंध और मूंग खरीदी को लेकर कही ये बात

किसान महापंचायत ने MP के कृषि मंत्री को लिखा खत, पराली जलाने पर प्रतिबंध और मूंग खरीदी को लेकर कही ये बात

किसान महापंचायत ने कृषि मंत्री एदल सिंह को संबोधित इस पत्र में लिखा है कि सरकार सैटेलाइट से यह देख सकती है कि किसान पराली जलाते हैं, लेकिन क्या सैटेलाइट से यह दिखा सकता कि किसान डीएपी और यूरिया के लिए कितनी लंबी लाइन में खड़ा है?

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किसान महापंचायत ने MP के कृषि मंत्री को लिखा खत, पराली और मूंग खरीदी को लेकर कही ये बातकिसान महापंचायत ने पराली पर प्रतिबंध को वापस लेने की उठाई मांग

किसानों द्वारा धान की पराली जलाने पर लगाए गए प्रतिबंध को वापस लेने और मुआवजे से वंचित किसानों के तुरंत भुगतान के लिए किसान महापंचायत ने मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना को पत्र लिखा है. इसमें किसान संगठन ने लिखा है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों पर खेतों में पराली जलाने के कारण सैटेलाइट रिपोर्ट के आधार पर जुर्माना लगाया जा रहा है. यह निर्णय किसानों विरोधी है, क्योंकि प्रदेश के लगभग 90% औसत सीमांत किसानों के पास पराली निपटान के लिए आवश्यक कृषि यंत्र मैनेजमेंट मशीनें उपलब्ध नहीं है.

'सैटेलाइट से लाइन में लगा किसान क्यों नहीं दिखता?'

किसान महापंचायत ने कृषि मंत्री एदल सिंह को संबोधित इस पत्र में लिखा है कि सरकार सैटेलाइट से यह देख सकती है कि किसान पराली जलाते हैं, लेकिन क्या सैटेलाइट से यह दिखा सकता कि किसान डीएपी और यूरिया के लिए कितनी लंबी लाइन में खड़ा है? किसान तो सैटेलाइट की निगरानी में हैं, लेकिन क्या सरकार को सैटेलाइट से यह नहीं दिखता कि उद्योगपतियों और फैक्ट्रियों द्वारा दिन-रात कितनी प्रदूषण फैल रहा है? क्या कभी किसानों की पराली जलाने से अब तक किसी गांव या पर्यावरण को कोई भी हानि हुई है? वास्तविक प्रदूषण बड़े-बड़े उद्योगों से हो रहा है, लेकिन किसानों को हमेशा निशाना बनाया जाता है, यह घनघोर अन्याय है.

'किसान के पास पराली हटाने के साधन नहीं'

इस पत्र में किसान महापंचायत प्रदेश अध्यक्ष राजेश धाकड़ ने आगे लिखा कि किसान अपनी मेहनत और लागत से फसल तैयार करता है. अगर उसके पास पराली हटाने के साधन नहीं हैं तो उसे दंडित करना अन्याय है. किसान स्वयं तैयार हैं कि यदि सरकार जनपद या विकासखंड स्तर पर पर्याप्त संख्या में कृषि यंत्र उपलब्ध कराए तो वे उसका किराया देकर उपयोग करने को तैयार हैं. किसानों को मजदूर भी नहीं मिल पा रहे हैं. सरकार मनरेगा द्वारा किसानों को मजदूर उपलब्ध कराए जो पराली उठाने के लिए तैयार हो. नहीं तो सरकार सभी किसानों को 50% अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए और जितने आवेदन हो, सभी को सब्सिडी मिलना चाहिए. किसान महापंचायत आपसे अनुरोध करता है कि एक हफ्ते के अंदर सरकार पराली जलाने का कानून वापस ले.

मूंग खरीदी के भुगतान का उठाया मुद्दा

इतना ही नहीं कृषि मंत्री एदल सिंह को किसान महापंचायत प्रदेश अध्यक्ष राजेश धाकड़ ने एक दूसरा पत्र भी लिखा. इसमें उन्होंने मूंग खरीदी के बाद भुगतान और बिल तैयार न होने संबंधी समस्या के शीघ्र समाधान के लिए आवेदन किया है. इस पत्र में लिखा है कि लगभग 15 दिन पहले आपने स्वयं किसानों को यह आश्वासन दिया था कि मूंग खरीदी से जुड़ी समस्याओं का समाधान शीघ्र ही कर दिया जाएगा. किंतु खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि आज तक उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है. नरसिंहपुर जिले के 292 किसान, रायसेन और नर्मदापुरम जिलों सहित प्रदेश के लगभग 1500 किसान पिछले दो माह से अधिक समय से खरीदी गई मूंग का बिल बनने और भुगतान होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

मध्यप्रदेश शासन को दिया अल्टीमेटम

इस पत्र में आगे लिखा है कि किसानों ने बार-बार जिला कलेक्टर एवं नाफेड अधिकारियों से संपर्क किया, परंतु आज तक किसी भी स्तर पर उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई. मंत्री जी, किसानों की यह स्थिति अत्यंत दयनीय है. बिना बिल और भुगतान के किसान आर्थिक संकट में फंस चुके हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि मानो किसानों की समस्याओं पर लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई ध्यान ही नहीं दिया जा रहा. अगर शीघ्र ही किसानों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो किसान महापंचायत एक बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होगी, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी मध्यप्रदेश शासन की होगी. इसलिए आपसे विनम्र आग्रह है कि तत्काल प्रभाव से किसानों की समस्याओं का निराकरण करवाकर भुगतान सुनिश्चित करने की कृपा करें.

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