इस बार के त्योहारों में सड़कों पर लगे जाम शॉपिंग के प्रति उमड़े लोगों के उत्साह को दिखा रहे हैं. हरेक पर्व पर इस बार बिक्री के रिकॉर्ड ध्वस्त होते जा रहे हैं. ऐसा ही कुछ अनुमान करवा चौथ के त्योहार को लेकर भी लगाया जा रहा है. इस पर्व पर खरीदारी के लिए बाजारों में जिस तरह की रौनक दिखाई दे रही है उसे देखते हुए अनुमान है कि करवा चौथ पर देशभर में 15 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का कारोबार हो सकता है.
जबकि पिछले साल करवा चौथ पर करीब 11 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था. अकेले दिल्ली में करीब 1500 करोड़ रुपये की खरीदारी करवा चौथ पर होने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 1100 करोड़ रुपए से ज्यादा है.
करवा चौथ को लेकर बाजारों में जारी गहमागहमी से संकेत मिल रहे हैं कि कोरोना जैसी चुनौतियों से उबरने के बाद लोगों की वित्तीय सेहत में सुधार हुआ है. त्योहारी सीजन में खर्च में हुई बढ़ोतरी ने भी लोगों के मजबूत सेंटीमेंट्स का सबूत दिया है. ऐसे में रक्षाबंधन और नवरात्र की तरह इस बार करवाचौथ पर भी पिछले साल के मुकाबले ज्यादा कारोबार होने का अनुमान है. करवा चौथ पर देशभर में होने वाले 15 हजार करोड़ रुपये के कुल कारोबार में सोने-चांदी के गहनों की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी, कपड़ों और साड़ियों की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा 35 फीसदी, पूजा सामग्री के व्यापार की हिस्सेदारी 10 फीसदी, मेहंदी की 10 फीसदी, मिठाइयों और दूसरे खाने पीने के सामानों की 10 फीसदी, बर्तन की 05 फीसदी और फूल कारोबार की हिस्सेदारी 05 फीसदी रहने का अनुमान है.
छलनी, दीया और पूजा से जुड़ीं सामग्रियों के अलावा इस बार चांदी से बने करवे की भी बाजार में काफी डिमांड है. व्यापारी संगठनों के मुताबिक दिवाली पर इस बार देशभर में करीब साढ़े 03 लाख करोड़ रुपये के व्यापार की उम्मीद है. दिवाली पर करीब 65 करोड़ लोग खरीदारी करेंगे और प्रति व्यक्ति औसत खरीद साढ़े 05 हजार रहने का अनुमान है.
वहीं इस बार के त्योहारों में वोकल फॉर लोकल और आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने के लिए चीन में बने सामानों का आयात नहीं किया जा रहा है. ग्राहक भी चीन में बने सामानों को नहीं खरीदना चाहते हैं. सीमा पर तनाव के बाद से चीन के उत्पादों की डिमांड में बड़ी गिरावट आई है. ऐसे में इस साल भी त्योहारी सीजन में चीन का कोई भी सामान बाजारों में नहीं बिकेगा.
इस बार त्योहारों से लेकर शादियों और फिर नए साल तक खरीदारी के तमाम रिकॉर्ड टूटने वाले हैं. इस दौरान ऑफलाइन खरीदारी का आंकड़ा ऑनलाइन शॉपिंग से 10 गुना ज्यादा रहने का अनुमान है. इसकी वजह है कि व्यापारी संगठन ग्राहकों से भावुक अपील करके उन्हें बाजारों से ही सामान खरीदने के लिए कह रहे हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार के त्योहारी सीजन के दौरान ई-कॉमर्स कंपनियां 90 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करेगी. वहीं 31 दिसंबर तक ऑफलाइन कारोबार बढ़कर साढ़े 8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है.
ई-कॉमर्स कंपनियां और ऑफलाइन कारोबारी इस बार कारोबार बढ़ने का दावा कर रहे हैं. ऑफलाइन कारोबार को बढ़ाने के लिए देश भर में फैले 45 हजार से ज्यादा व्यापारी संगठनों के जरिए अभियान चलाया जा रहा है. इसके जरिए ग्राहकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वो दुकानदारों से ही सामान खरीदें. इसके साथ ही ऑफलाइन कारोबारी वोकल फॉर लोकल अभियान को बढ़ावा देने के लिए चीन के सामान के बॉयकॉट की मुहिम भी छेड़े हुए हैं.
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इस बॉयकॉट की बड़ी वजह कुल खरीदारी का साइज भी है. आंकड़ों के मुताबिक रक्षा बंधन से शुरू होकर भाई दूज तक चलने वाले त्योहारों के सीजन में करीब 3 लाख करोड़ रुपए की बिक्री हो सकती है. वहीं 23 नवंबर से दिसंबर के मध्य तक शादियों के सीजन में करीब सवा 4 लाख करोड़ रुपये की बिक्री का अनुमान है. इसके अलावा क्रिसमस और नए साल पर करीब सवा लाख करोड़ रुपये की खरीदारी का अनुमान लगाया गया है. यानी अगस्त से लेकर दिसंबर तक करीब साढ़े 8 लाख करोड़ की बिक्री का अनुमान लगाया जा रहा है.
इससे भारत के रिटेल व्यापार को तेज रफ्तार मिलेगी जो नकदी संकट से परेशान व्यापारियों के मनोबल और बाजार के सेंटिमेंट्स को मजबूत करेगा. वहीं ऑनलाइन इंडस्ट्री डिस्काउंट्स के दम पर ग्राहकों को लुभाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है. रेडसीर स्ट्रैटेजी कंसल्टेंट्स की एक हालिया रिपोर्ट के मुताबिक इस साल के त्योहारी सीजन में भारत के ई-कॉमर्स उद्योग की GMV करीब 90 हजार करोड़ रुपये रहेगी. ये पिछले साल के त्योहारी सीजन के मुकाबले 18 से 20 फीसदी ज्यादा है. इसे बढ़ाने में बड़ा रोल उन 14 करोड़ खरीदारों का होगा जो इस त्योहारी सीजन में कम से कम एक बार ऑनलाइन खरीदारी करेंगे.
भारत में ऑनलाइन रिटेलर्स ने सबसे पहले 2014 में बिक्री की शुरुआत की थी. इन दस साल में भारतीय ई-कॉमर्स सेक्टर में जबरदस्त बदलाव आया है. इस दौरान ई-कॉमर्स उद्योग के सालाना जीएमवी में करीब 20 गुना बढ़ोतरी हुई है. 2014 में उद्योग का सालाना जीएमवी 27 हजार करोड़ रुपये रहा था जो इस साल करीब सवा 5 लाख करोड़ रुपये हो सकता है. इस दौरान सालाना लेनदेन करने वाले यूजर्स की संख्या में भी 15 गुना का इजाफा हुआ है. ऑनलाइन और ऑफलाइन सेगमेंट्स के आकार का भले ही आपस में मुकाबला ना हो, लेकिन इतना तय है कि इन दोनों की तेज ग्रोथ भारत की बढ़ती आर्थिक ताकत का सबसे भरोसेमंद सबूत है.
(दिल्ली से आदित्य राणा की रिपोर्ट)
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