भारत त्योहारों का देश है. यहां कई प्रकार के त्योहार पूरे साल मनाए जाते है. वहीं भारत में मनाए जाने वाले त्योहारों में दिवाली सबसे धूमधाम से मनाई जाती है. दिवाली आने में अब कुछ ही दिन बचे हुए हैं. इस त्योहार के कई दिनों पहले से ही बाजारों में एक अलग तरह की चहल-पहल देखने को मिलती है. लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में एक गांव ऐसा भी है, जहां दिवाली का त्योहार एक सप्ताह पहले ही मनाया जाता है. अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर इस अजीब सी परंपरा के पीछे क्या वजह है? तो चलिए आज इस परंपरा के बारे में जानते हैं.
खुशियों के पर्व दिवाली को भगवान राम की लंका पर जीत की खुशी में मनाया जाता है. इस साल 12 नवंबर को देशभर में दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा. इस दिन हर घर में जगमगाते दिए अंधकार को पीछे धकेल देते हैं और हमारे जीवन में नई रोशनी लाते हैं. ऐसे में आज हम आपको एक अनोखी दिवाली के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दिवाली के एक सप्ताह पहले ही दिवाली मनाई जाती है. इस गांव में 06 नवंबर को लक्ष्य पूजा और 07 को गोवर्धन पूजा के साथ दिवाली की शुरुआत हो जाती है.
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छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में देशभर में सबसे अनोखी दिवाली मनाई जाती है. इसके अलावा आपको ये परंपरा देश के किसी भी कोने में देखने को नहीं मिलेगी. इस गांव में बेहद अनोखे अंदाज में दिवाली मनाई जाती है. यहां एक सप्ताह पहले ही त्योहार को मनाने की परंपरा पिछले 05 दशकों से चली आ रही है. आपको बता दें कि यहां सिर्फ दिवाली ही नहीं बल्कि होली और हरेली पोला त्योहार भी एक सप्ताह पहले ही मनाया जाता है.
सेमरा गांव में एक सप्ताह पहले दिवाली मनाने के पीछे की कहानी ये है कि गांव में सिदार देव हैं, जिन्होंने गांव को एक बड़ी विपत्ति से मुक्त किया था. इसके बाद गांव के एक पुजारी को सपना आया था, जिसके अनुसार सिदार देव ने गांव में कभी आपदा या विपदा नहीं आने का आश्वासन दिया और कहा कि इसके लिए आप लोगों को सबसे पहले मेरी पूजा करनी होगी. यही कारण है कि यहां हर साल 07 दिन पहले ही दिवाली का त्योहार मनाया जाता है.
इस परंपरा को आप अंधविश्वास या आस्था मान सकते हैं, लेकिन वहां के गांव वाले इस परंपरा के लकीर को कभी तोड़ते नहीं हैं. गांव वालों का उनका मानना है कि ऐसा करने पर कोई न कोई अनहोनी हो जाती है. वहीं इस परंपरा से ग्रामीण काफी खुश हैं.
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