बीते दो दिनों से शंभू बॉर्डर पर किसानों और प्रशासन के बीच गतिरोध जारी रहा, जिसमें आंदोलनकारी किसान यूनियन के सदस्यों ने दिल्ली कूच करने के लिए हरियाणा में प्रवेश करने की कोशिश की जिसमें वो विफल रहे. जिसके बाद रविवार को किसान नेताओं ने पंजाब और हरियाणा के वरिष्ठ अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. राजपुरा के एक निजी होटल में बंद कमरे में हुई इस बैठक में पटियाला रेंज के डीआईजी मनदीप सिंह सिद्धू ने हिस्सा लिया और देर शाम अंबाला के डीसी पार्थ गुप्ता, एसपी अंबाला सुरिंदर सिंह भोरिया और पटियाला के एसएसपी नानक सिंह भी मौजूद रहे.
सूत्रों ने बताया कि बैठक में दोनों गुट अपने-अपने रुख पर अड़े रहे. अधिकारियों ने कहा, "जबकि अंबाला प्रशासन ने किसानों के आंदोलन खत्म करने पर केंद्र के साथ बातचीत के लिए अनुकूल माहौल बनाने पर सहमति जताई. वहीं, किसान नेताओं ने कहा कि जब तक केंद्र उनकी लंबित मांगों को स्वीकार नहीं कर लेता, तब तक वे पीछे नहीं हटेंगे."
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इस बैठक में किसान यूनियन ने लिखित आश्वासन मांगा, जबकि हरियाणा के अधिकारियों ने कहा कि अगर धरना हटा लिया जाता है तो वे राजमार्ग खोल सकते हैं और बैरिकेड हटा सकते हैं. किसानों ने इस प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि जब तक मांगें पूरी नहीं हो जाती, तब तक किसान पीछे नहीं हटेंगे.
सूत्रों का कहना है कि किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि आंदोलन फरवरी से चल रहा है और जब तक सरकार उनकी मांगें नहीं मान लेती, तब तक वे पीछे नहीं हट सकते. बताया जाता है कि पंढेर ने अधिकारियों से कहा, कि आश्चर्यजनक रूप से, अंबाला प्रशासन बातचीत करना चाहता है और गतिरोध तोड़ना चाहता है, लेकिन हरियाणा पुलिस आंसू गैस के गोले दागती है.
किसान यूनियन के सदस्यों ने यह भी मुद्दा उठाया कि केंद्र सरकार बातचीत के लिए कोई दरवाजा नहीं खोल रही है और इसके बजाय किसानों को दिल्ली पहुंचने से रोकने पर अड़ी हुई है, जबकि ‘वे निहत्थे हैं और राष्ट्रीय राजधानी की ओर जा रहे हैं. इस पर हरियाणा के अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि अगर धरना हटा लिया जाता है, तो सभी के लिए सामान्य यातायात बहाल हो सकता है.
बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि हालांकि बैठक से बहुत कुछ नहीं निकला, लेकिन यह निश्चित रूप से सही दिशा में उठाया गया कदम था, जहां दोनों विरोधी गुटों ने एक साथ बैठकर स्थिति पर चर्चा की. उन्होंने 'ट्रिब्यून' को बताया कि "हालांकि पंजाब की तरफ से अधिकारी बैठक में मौजूद थे, लेकिन इसमें हरियाणा के अधिकारियों और किसान नेताओं ने एक-एक करके बात की."
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