हनुमानगढ़ में नहीं लगेगी इथेनॉल फैक्ट्री (File Photo: ITG/Sharat Kumar)राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में टिब्बी के पास प्रस्तावित इथेनॉल प्लांट को लेकर बड़ा फैसला सामने आया है. कंपनी ने प्रोजेक्ट को पूरी तरह रद्द कर दिया है और अब राजस्थान से बाहर जाने का निर्णय लिया है. इसे लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसानों की बड़ी जीत माना जा रहा है. किसान सभा के जिला सचिव मंगेज चौधरी ने कहा कि यह जनता और किसानों के ऐतिहासिक संघर्ष की जीत है, लेकिन लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है. उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस नहीं होते, आंदोलन जारी रहेगा.
जानकारी के मुताबिक, प्रस्तावित इथेनॉल प्लांट को लेकर करीब 15 महीने से विवाद चल रहा था. किसानों के भारी विरोध और हिंसा-आगजनी के बाद बाद कंपनी ने कदम पीछे हटा लिए है और अब राजस्थान के बाहर प्लांट लगाने का निर्णय लिया है. दरअसल, टिब्बी तहसील के राठीखेड़ा गांव में इथेनॉल फैक्ट्री लगाने की योजना को लेकर स्थानीय किसान शुरू से ही विरोध जता रहे थे.
किसानों का कहना था कि फैक्ट्री से भूजल प्रदूषण, पर्यावरण को नुकसान और कृषि भूमि के बंजर होने का खतरा है, जिससे उनकी खेती और रोजी-रोटी पर सीधा असर पड़ेगा. इसी मांग को लेकर किसानों ने लंबे समय तक धरना दिया, लेकिन प्रशासन ने कुछ समय पहले इसे हटवा दिया, जिसके बाद आक्रोश और बढ़ गया.
10 दिसंबर 2025 को राठीखेड़ा में विरोध के दौरान हालात बिगड़ गए थे. किसानाें और स्थानीय लोगों ने फैक्ट्री की दीवारें तोड़कर आगजनी की थी, जिसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का सहारा लिया था. इस हिंसा में कई किसान, महिलाएं और पुलिसकर्मी घायल हुए थे. जिसके बाद इलाके में तनाव और बढ़ गया था. साथ ही सावधानी बरतते हुए क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं बंद कर धारा 144 लगाई गई थी.
विवाद के बीच किसान नेताओं की सक्रियता भी तेज हो गई थी. राकेश टिकैत ने 17 दिसंबर को महापंचायत में साफ कहा था कि अगर स्थानीय किसान इस फैक्ट्री को नुकसानदेह मानते हैं तो संयुक्त किसान मोर्चा उनके साथ खड़ा रहेगा और किसी भी हाल में फैक्ट्री नहीं लगने दी जाएगी. वहीं, पंजाब के किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल भी टिब्बी पहुंचकर घायल किसानों से मुलाकात कर महांपचायत को समर्थन दिया था. उन्होंने सरकार और प्रशासन पर गलत तरीके से मुकदमे दर्ज करने के आरोप भी लगाए थे.
मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने संभावित पर्यावरण और भूजल प्रदूषण की जांच के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया था. इसके साथ ही जनप्रतिनिधियों ने भी किसानों को भरोसा दिलाया कि उनकी मांगें सरकार तक पहुंचाई जाएंगी.
लगातार बढ़ते दबाव और आंदोलन के चलते आखिरकार कंपनी ने इथेनॉल प्लांट का प्रस्ताव रद्द करने का फैसला किया. हालांकि, किसान संगठन अब भी सतर्क हैं. किसान सभा के एक नेता ने कहा कि यह जरूर बड़ी जीत है, लेकिन जब तक आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं लिए जाते, तब तक संघर्ष जारी रहेगा.
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