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मूंगफली की खेती से मलकानगिरी के किसानों के चेहरे पर लौटी मुस्कान, सरकारी प्रयास से मिली सफलता

मूंगफली की खेती से मलकानगिरी के किसानों के चेहरे पर लौटी मुस्कान, सरकारी प्रयास से मिली सफलता

किसानों के जीवन में यह बदलाव कृषि विभाग की तरफ से किए गए पहल से आया है. मलकानगिरी जिले के खैरापुट के किसान अब खुशहाल जीवन जी रहे हैं. हालांकि एक वक्त ऐसा भी था, जब यहां के किसान पारंपरिक तरीकों से धान बाजरा और मूंगफली की खेती करते थे.

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मूंगफली के बीज की खेती (सांकेतिक तस्वीर) मूंगफली के बीज की खेती (सांकेतिक तस्वीर)

ओडिशा के मलकानगिरी में मूंगफली के बीज की खेती ने किसानों किस्मत बदल दी है. मूंगफली के बीज की खेती उनके चेहरे पर मुस्कान ला रही है. क्योंकि इसके जरिए अब उनकी कमाई बढ़ी और जीवनस्तर में सुधार आय़ा है. किसानों के जीवन में यह बदलाव कृषि विभाग की तरफ से किए गए पहल से आया है. मलकानगिरी जिले के खैरापुट के किसान अब खुशहाल जीवन जी रहे हैं. हालांकि एक वक्त ऐसा भी था, जब यहां के किसान पारंपरिक तरीकों से धान बाजरा और मूंगफली की खेती करते थे. वैसे तो मूंगफली एक नकदी फसल मानी जाती है पर इसके बाद भी किसानों को इसकी खेती से अधिक फायदा नहीं हो रहा था. 

इसके बाद किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए कृषि विभाग की तरफ से पहल की गई. किसानों को मूंगफली के बीज की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया और उन्हें इससे जुड़े सरकारी नीतियों के बारे में जानकारी दी गई. ब्लॉक कृषि अधिकारियों द्वारा इस संबंध में सलाह देने और समझाने के बाद किसानों ने अपना ध्यान मूंगफली के बीज की खेती की ओर लगाया. ओडिशा का मकलानगिरी जिला कृषि प्रधान जिला माना जाता है. यहां पर 90 फीसदी लोग खेती पर निर्भर हैं और 50 प्रतिशत किसान अच्छी फसल के लिए मूंगफली की खेती करते हैं. 

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बढ़ा है उत्पादन

ब्लॉक कृषि अधिकारी, हेमंत कुमार पाधिहारी ने ओडिशा की एक वेबसाइट से बात करते हुए कहा की मूंगफली की खेती में किसानों को मूंगफली के बीज से कम फायदा होता है. इसके अलावा कई बार ये किसान डीलरों के शोषण का भी शिकार हो जाते थे. क्योंकि जब किसान बीज की खेती करते हैं तो वो उन बीजों को सीधा ओडिशा बीज निगम को बेच देते हैं. तो उन्हें डीलरों के चंगुल में फंसने की जरुरत नहीं होती है और दाम भी अच्छे मिल जाते हैं. प्रति एकड़ लगभग 5 क्विंटल उपज देने वाले किसान अब मूंगफली के बीज की खेती के बाद उसी क्षेत्र से 7 से 8 क्विंटल उपज लेते हैं.

किसानों की बढ़ी कमाई

खैरापुट के कलासाता गांव के किसान समारा कापे ने बताया कि  मूंगफली की खेती से पहले उन्हें  प्रति हेक्टेयर केवल 20,000 रुपये से 30,000 रुपये की कमाई होती होती थी. फिर इसके बाद उन्होंने ब्लॉक के कृषि अधिकारियों की सलाह के अनुसार बीजों की खेती शुरू की और उन्हें सरकार को बेच दिया. अब,उन्हें 50,000 रुपये और 25,000 रुपये का बोनस मिल रहा है. इससे वो काफी खुश और अपनी खेती का रकबा बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं. वहीं हलदिया सता गांव के एक अन्य किसान मंगला किसानी ने बताया कि  “वीएलडब्ल्यू और ब्लॉक कृषि अधिकारी से सहयोग से उन्होंने मैंने बीज की खेती शुरू की. इब उन्हें सरकार से बोनस के साथ आकर्षक मार्जिन मिल रहा है. 

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तीन किसानों से हुई थी शुरुआत

खैरापुट ब्लॉक कृषि अधिकारी हेमंत कुमार पधिहारी ने कहा कि तीन साल पहले केवल तीन किसान मूंगफली के बीज की खेती करते थे, अब  उनकी संख्या 37 तक पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि यहां किसान मूंगफली उगा रहे हैं लेकिन बीज के लिए बाहरी डीलरों पर निर्भर हैं. उन्हें डीलरों और व्यापारियों के हाथों भी शोषण का शिकार होना पड़ा. उसके बाद उन्होंने किसानों को सलाह दी और उन्हें बीज की खेती के लिए राजी किया. शुरुआत में तीन किसान आगे आये. उन्होंने राज्य बीज निगम को अपनी उपज बेचकर अच्छा मार्जिन प्राप्त किया. उनसे प्रेरित होकर, अन्य किसान भी बीज की खेती के लिए आगे आ रहे हैं.