सरकार चीनी निर्यात को दे सकती है मंजूरी (सांकेतिक तस्वीर)केंद्र सरकार जल्द ही चीनी निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस बार इथेनॉल उत्पादन के लिए तय मात्रा में चीनी की खपत नहीं हुई है और मिलों के पास अधिशेष स्टॉक जमा हो गया है. खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने बुधवार को बताया कि 2024-25 विपणन वर्ष में देश की चीनी मिलों ने केवल 34 लाख टन चीनी इथेनॉल उत्पादन के लिए दी, जबकि लक्ष्य 45 लाख टन का था. इस वजह से 2025-26 के मौजूदा सीजन की शुरुआत में ही काफी अधिक स्टॉक बचा हुआ है.
उन्होंने कहा कि 2025-26 में देश में कुल 340 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है, जबकि घरेलू खपत लगभग 28.5 मिलियन टन रहने की उम्मीद है. यानी इस बार उत्पादन मांग से कहीं ज्यादा होगा. ऐसे में सरकार अतिरिक्त चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर रही है.
संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार जल्द निर्णय लेना चाहती है ताकि उद्योग को निर्यात की तैयारी का समय मिल सके. इसके लिए मंत्रियों की एक समिति अगले हफ्ते बैठक कर सकती है. पिछले साल 2024-25 में देश से करीब 8 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ था, जबकि 10 लाख टन की मंजूरी दी गई थी.
चोपड़ा ने बताया कि फिलहाल अंतरराष्ट्रीय बाजार में परिष्कृत (रिफाइंड) चीनी के दाम बहुत अनुकूल नहीं हैं. हालांकि, कच्ची चीनी के लिए निर्यात का अवसर संभव है, क्योंकि उसमें कुछ हद तक निर्यात लाभ मिल सकता है. उन्होंने बताया कि वैश्विक बाजार में रिफाइंड चीनी की कीमत करीब 3,829 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि घरेलू मिलों का एक्स-मिल भाव औसतन 3,885 रुपये प्रति क्विंटल है. ऐसे में निर्यात का लाभ सीमित है.
इथेनॉल उत्पादन को लेकर सचिव ने कहा कि जब मिलें पहले से तय 45 लाख टन चीनी का इस्तेमाल इथेनॉल के लिए नहीं कर पाईं तो अब ज्यादा कोटा मांगने का औचित्य नहीं बनता. हालांकि, यह मामला पेट्रोलियम मंत्रालय से जुड़ा है और वही इस पर अंतिम फैसला लेगा.
उन्होंने बताया कि 2024-25 इथेनॉल सप्लाई वर्ष में चीनी उद्योग ने 471 करोड़ लीटर इथेनॉल देने की पेशकश की थी, लेकिन वास्तव में केवल 289 करोड़ लीटर ही दिया गया. सरकार ने गन्ने की शीरे (मोलासेस) से एथनॉल उत्पादन पर सभी प्रतिबंध हटा दिए थे, फिर भी उत्पादन उम्मीद से कम रहा.
चोपड़ा ने कहा कि इस बार इथेनॉल उत्पादन में मक्का की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा रही. कुल अनुमानित 1,048 करोड़ लीटर इथेनॉल में से 478 करोड़ लीटर मक्का से बना, 289 करोड़ लीटर शीरे से और 235 करोड़ लीटर चावल से तैयार किया गया. उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता पहले घरेलू उपभोग, फिर इथेनॉल के लिए चीनी का उपयोग और उसके बाद शेष मात्रा का निर्यात करने की रहती है. (पीटीआई)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today