भारत इस बार G20 समिट की अध्यक्षता कर रहा है. इस आयोजन में विश्व के 20 देशों से बड़े नेता और उनके परिवार के सदस्य शामिल होने के लिए भारत पहुंचे. इस सम्मेलन में विदेशी मेहमानों को परोसे जाने वाले मोटे अनाज यानी मिलेट्स से बने व्यंजनों की खूब चर्चा है. इसमें मिलेट्स से बने कई खास तरह की डिशेज और यहां तक कि रंगोली भी शामिल हैं. मिलेट्स के भोज के अलावा 20 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और फर्स्ट लेडीज के लिए कृषि मंत्रालय द्वारा पूसा में एक खास कृषि प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया.यहां पर मोटे अनाज से जुड़े कार्यक्रम ‘एग्री-गली’ का मुख्य आकर्षण महिला किसान लहरी बाई की प्रदर्शनी रही.
लहरी बाई डिंडोरी, मध्यप्रदेश की एक महिला किसान हैं, जिन्होंने 150 से अधिक तरह के बीजों का संग्रह किया है. इसमें 50 मिलेट्स के बीज शामिल हैं. इन्होंने इसका संग्रह दो कोठरियों वाली झोपड़ी में किया है. इस कारण उन्हें भारत की ‘मिलेट क्वीन’ भी कहा जाता है. आइए जानते हैं उनकी कहानी.
मध्यप्रदेश के डिंडोरी जिले में बैगा आदिवासी रहते हैं, बैगा आदिवासी अभी भी अपनी पुरानी परंपराओं से जुड़े हुए आदिवासी माने जाते हैं और यह घने जंगलों के बीच ही अपनी बस्तियां बसाते हैं. लहरी इन्हीं बैगा आदिवासियों में से एक है, 27 वर्षीय महिला लहरी बाई, इस प्रयास में एक ब्रांड एंबेसडर के रूप में उभरी हैं. जिन्होंने अपने समाज और राज्य का इतने बड़े स्तर पर नाम रौशन किया है.
One of the key highlights of the Agri Gully were the exhibits of Lahri Bai, also known as the ‘Millet Queen of India’ for conserving more 150 indigenous seed varieties including 50 varieties of millet seeds.#agrigoi #IYM2023 #ShreeAnna #G20Bharat@g20org pic.twitter.com/xMC2CJ0lvA
— Agriculture INDIA (@AgriGoI) September 9, 2023
डिंडोरी जिले के सिलपाड़ी गांव की मूल निवासी, बैगा आदिवासी, जिन्हें विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूहों में गिना जाता है, लहरी बाई अपने माता-पिता के साथ दो कमरे के इंदिरा आवास घर में रहती हैं, जहां एक कमरा लिविंग रूम और किचन के रूप में है, तो वहीं दूसरे कमरे को उन्होंने बीज बैंक बना लिया है. इस बैंक में कोदो, कुटकी, संवा, मढ़िया, सालहर और काग फसलों सहित मोटे अनाज के लगभग 150 से अधिक दुर्लभ बीजों का संरक्षण किया है. .
इन सभी बीजों को लहरी बाई अपने खेतों के एक हिस्से में बोती हैं. इसके बाद, इन अलग-अलग किस्म के बीजों को अपने गांव के साथ-साथ अन्य 15-20 गांवों में किसानों को फ्री में बांटती हैं. इसके बदले में किसान लहरी बाई को अपनी उपज का एक छोटा सा हिस्सा उपहार स्वरूप देते हैं.
हालांकि, एक समय था जब लहरी बाई का मजाक उड़ाया जाता था. लहरी बाई याद करती हैं कि लोग उनका मजाक बनाते थे और अक्सर उन्हें दूर भगा देते थे. लेकिन उनके हमेशा से केवल दो मिशन थे, एक शादी न करना और जीवन भर माता-पिता की सेवा करना और दूसरा मिलेट्स के बीजों का संरक्षण करना और उनकी खेती को बढ़ावा देना. आज हर कोई उनका सम्मान करता है. आज उसी के बदौलत लहरी बाई का चर्चा जी 20 में भी हो रहा है.
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