भारत की मेजबानी में दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन जारी है. पहले दिन बीस देशों के प्रतिनिधियों की बैठक हुई और एक घोषणापत्र पर सहमति बनी. उसके बाद विदेशी मेहमानों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से रात्रिभोज में आमंत्रित किया गया. इस डिनर पार्टी में दुनिया भर से पहुंचे मेहमान भी भारतीय रंग में नजर आए. इनमें सबसे अधिक चर्चा जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा की पत्नी युको किशिदा (Yuko Kishida) की रही, जो शनिवार को जी-20 रात्रिभोज में शामिल होने के लिए साड़ी पहनकर भारत मंडपम पहुंचीं.
दुनिया के शीर्ष नेताओं के बीच जापान की फर्स्ट लेडी ने अचानक ही सारी लाइमलाइट लूट ली. बनारसी साड़ी में वह काफी ग्रेसफुल लग रही थीं और उन्हें देखकर हर कोई हैरान रह गया. शायद ही किसी को उनके भारतीय सिल्क साड़ी में पहुंचने की उम्मीद थी. दूसरे कई मेहमानों पर भी भारतीय खाने से लेकर संगीत तक का असर नजर आ रहा था.
जी-20 डिनर कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए आए सभी मेहमान अवसर के मुताबिक ट्रेडिशनल या पार्टी वियर में पहुंचे थे. जापान के प्रधानमंत्री भी थ्री पीस सूट और टाई में आए थे. हालांकि, सबसे ज्यादा चर्चा फर्स्ट लेडी युको किशिदा की हरे और गोल्डन रंग की साड़ी की हो रही है. बनारसी साड़ी के साथ उन्होंने एक बिंदी भी लगाई थी और साथ में गोल्डन क्लच कैरी किया था. किशिदा दंपती ने मीडिया के सामने तस्वीरें भी खिंचवाईं और हाथ जोड़कर सबका अभिवादन किया.
ये भी पढ़ें:- G20 Summit: पीएम मोदी ने G20 में लॉन्च किया ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस, जानें इससे जुड़ी सभी जानकारी
उत्तर प्रदेश का प्रत्येक शहर अपने अंदर एक इतिहास समेटे हुए हैं, जिसमें से एक बनारस भी है. बनारस शहर अपने का खान-पान, संस्कृति और जीवनशैली दुनियाभर में मशहूर है,. वहीं यहां निर्मित होने वाली साड़ी प्रत्येक भारतीय परिवार का सदियों से हिस्सा रही है. जिसे बनारसी साड़ी कहा जाता है. कुल मिलाकर बनारसी साड़ी एक बेशकीमती नगीना है. जानकारों का मानना है कि इस साड़ी का इतिहास 2000 साल पुराना है.
बनारसी साड़ी को ढरकी पर बुना जाता है जिसमें दो कारीगर सिरकी से डिजाइन को बनाते हैं. इस तरह की कारीगरी में दो लोगों की आवश्यकता होती है. एक साड़ी की बुनाई करता है तो दूसरा रेशम के ऊपर जरी के धागों से कढ़ाई करता है. इन साड़ियों पर कैरी की डिजाइन के साथ फूल पत्तियों की डिजाइन भी बनाई जाती है. इस साड़ी को तैयार करने में कम से कम दो महीने का समय लगता है. इसी वजह से इन साड़ियों की कीमत सबसे ज्यादा होती है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today