इस साल देश के कई इलाकों में सामान्य से अधिक बारिश और बाढ़ के हालात देखे गए. जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, देशभर में लाखों एकड़ फसल बर्बाद हो गई. अब खबर मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले से आई है जहां किसानों ने फसल नुकसान का सर्वे और नुकसान का बीमा क्लेम ना किए जाने की समस्या से जूझ रहे हैं. इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए करीब 70 गांवों के किसानों ने अनोखे तरीके से ज्ञापन सौंपा जिसके बाद ये आंदोलन चर्चा का विषय बना हुआ है. सरकार और प्रशासनिक लोगों से किसानों की कई शिकायतें हैं जिसको लेकर किसानों ने खास तरीका अपनाया.
मध्य प्रदेश राजगढ़ जिले पचोर तहसील क्षेत्र के करीब 70 गांवों के किसान तहसील परिसर पहुंचे और तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा. किसानों ने बताया कि भारी बारिश और ओलावृष्टि की वजह से सोयाबीन की खड़ी फसल खराब हुई. किसानों की मांग है कि प्रशासन खराब फसलों का सर्वे कराए और उन्हें मुआवजा दिया जाए. इसके अलावा किसानों का कहना है कि बीते वर्ष ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसलों का ना तो बीमा क्लेम मिला और ना ही सरकार की ओर से मुआवजा राशि. वहीं, इस बार लौटते मानसून की अंतिम बारिश ने पककर खड़ी सोयाबीन की फसल को चौपट कर दिया. इसके प्रशासन ने अब तक कोई सर्वे नहीं कराया है.
फसल नुकसान को लेकर सर्वे कराने और बीमा की राशि और मुआवजे की मांग को लेकर राजगढ़ जिले के करीब 70 गांवों के किसानों ने सामूहिक रूप से प्रदर्शन किया. किसानों ने ट्रैक्टरों की रैली निकाली और तहसील परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए तहसीलदार को ज्ञापन सौंपा. इस अनोखे आंदोलन के बारे में जिसने भी सुना सब अचरज में रह गए.
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प्रदर्शनकारी किसानों ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन पूरी तरह गैर-राजनीतिक है और भाजपा या कांग्रेस से उन्हें कोई सरोकार नहीं है. उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि फसलों के नुकसान की भरपाई जल्द की जाए.
भारी बारिश और ओलावृष्टि का असर फसलों पर बुरी तरह से पड़ा है जिससे कई किसानों की 100 फीसदी तक फसल खराब होने की भी शिकायत सामने आई है. अब राजगढ़ जिले के किसानों ने फसल नुकसान का सर्वे और मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन किया है. तहसीलदार को ज्ञापन सौंपने के बाद किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि अगले 10 दिनों में फसलों का सर्वे कराकर मुआवजा राशि प्रदान नहीं की गई तो सभी 70 गांवों के किसान मिलकर आमरण अनशन पर बैठेंगे. (रिपोर्ट: पंकज शर्मा)
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