राजस्‍थान: भुखमरी की कगार पर किसान! खेतों से पानी निकालने के लिए भी ले रहे हैं साहूकारों से कर्ज

राजस्‍थान: भुखमरी की कगार पर किसान! खेतों से पानी निकालने के लिए भी ले रहे हैं साहूकारों से कर्ज

Rajasthan: राज्‍य के तमाम किसानों ने तो दो बार फसल बोई थी और दोनों बार बाढ़ का पानी आ गया. अब तीसरी उनमें न तो बुआई का साहस बचा है और न ही पैसे. कई किसानों का कहना है कि अगली बुवाई पर भी संकट मंडरा रहा है क्योंकि खेत सूखने का नाम नहीं ले रहे.

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राजस्‍थान: भुखमरी की कगार पर किसान! खेतों से पानी निकालने के लिए भी ले रहे हैं साहूकारों से कर्जराजस्‍थान में कई जिलों में किसानों के सामने बड़ा संकट

इस साल राजस्थान में मॉनसून के सीजन में हुई भारी बारिश ने खेती-किसानी को तगड़ा झटका दिया है. नागौर, दौसा, भरतपुर और कई जिलों में किसानों की मेहनत पानी में बह गई है. खेतों में खड़ी मूंग, ग्वार, बाजरा और ज्वार की फसल पूरी तरह से नष्‍ट हो चुकी है. किसान अब खुद को असहाय और कर्जदारों के आगे मजबूर महसूस कर रहे हैं. उनके सामने स्थिति बेहद मुश्किल है और कर्ज ने इस स्थि‍ति को और विकट बना दिया है. 

पानी निकालने में लग रहे रुपये

अखबार दैनिक भास्‍कर की रिपोर्ट में नागौर जिले के बिजाठल गांव के किसान मंगलूराम लामरोड़ के हवाले से लिखा है कि उन्होंने 60 बीघा जमीन में मूंग बोने के लिए तीन लाख रुपये का कर्ज लिया था. लेकिन बारिश और जलभराव ने सारी फसल चौपट कर दी. उन्‍होंने कहा, 'अब खेत में कुछ नहीं बचा. जिनसे उधार लिया है, वे पीछे पड़े हैं. लगता है जैसे हम उनके सामने चोर बन गए हों.' इसी गांव के एक और किसान छोटूराम अपने डूबे हुए खेतों से दिन-रात पंपिंग सेट से पानी निकालने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने 40 बीघा में मूंग, ग्वार और बाजरा बोया था. उन्‍होंने बताया, 'जिस पैसे से फसल बोई थी अब उसी पैसे से पानी निकाल रहे हैं. मेहनत की महीनों की कमाई एक झटके में मिट्टी हो गई.' 

अगली बुवाई पर संकट

राज्‍य के तमाम किसानों की यही स्थिति है. कई किसानों ने तो दो बार फसल बोई थी और दोनों बार बाढ़ का पानी आ गया. अब तीसरी उनमें न तो बुआई का साहस बचा है और न ही पैसे. कई किसानों का कहना है कि अगली बुवाई पर भी संकट मंडरा रहा है क्योंकि खेत सूखने का नाम नहीं ले रहे. कुछ किसानों के पास तो अब जानवरों को खिलाने के लिए भी कुछ नहीं बचा है और बाड़ से घास-फूस तोड़कर लाना पड़ रहा है. कुछ किसान ऐसे हैं जिन्‍होंने अगस्त की शुरुआत में अपनी बोई मूंग की फसल को फूलों से लदा देखा था लेकिन लगातार बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. इन किसानों की मानें तो अब खेत में मलबा और पानी ही बचा है. अगर एक किलो मूंग भी मिल जाए तो उसे चमत्कार मानेंगे. 

सरकार ने मांगी रिपोर्ट

हालात को देखते हुए सरकार ने फसल नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है. संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने विधानसभा में बताया कि प्रभावित जिलों की रिपोर्ट तैयार की जा रही है. वहीं मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अधिकारियों और मंत्रियों के साथ बैठक कर किसानों को राहत पहुंचाने का आश्वासन दिया है. पिछले दिनों कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने कहा था कि सरकार की तरफ से खास तौर पर गिरदावरी करने के आदेश दे दिए गए हैं. 

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