NCP (श.पा) अध्यक्ष शरद पवार ने सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर किसानों की दुर्दशा के प्रति लापरवाही बरतने का आरोप लगाया और चेतावनी दी कि विपक्ष सरकार का ध्यान "कृषि संकट" की ओर आकर्षित करने के लिए अपना विरोध प्रदर्शन तेज करेगा. पवार ने किसानों की कठिनाइयों को उजागर करने के लिए नासिक में अपनी पार्टी द्वारा आयोजित 'आक्रोश मोर्चा' का नेतृत्व किया. कई राकांपा (श.पा) नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ, पवार ने एक खुली जीप में विरोध प्रदर्शन में भाग लिया. इस दौरान पार्टी ने मांग की कि सरकार सूखाग्रस्त घोषित करे और किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी करे.
एनसीपी (श.पा) की कार्यकारी अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने कहा कि अगर सरकार एक महीने में कर्जमाफी की घोषणा नहीं करती है, तो पार्टी मंत्रियों को राज्य में घूमने नहीं देगी. नासिक में एक रैली को संबोधित करते हुए पवार ने कहा, "हमने मीडिया में देवभाऊ (देवेंद्र फडणवीस) के पोस्टर देखे हैं जिनमें वे छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने हाथ जोड़ते दिख रहे हैं. उन्हें उस महान योद्धा राजा के रास्ते पर चलना चाहिए जिन्होंने सुनिश्चित किया कि किसानों को कोई परेशानी न हो." राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि सोमवार को उनकी पार्टी द्वारा आयोजित मोर्चा महज एक शुरुआत है.
पवार ने कहा, "देवाभाऊ...चारों ओर देखिए और देखिए कि क्या हो रहा है. नेपाल में लोगों ने एक ऐसी सरकार को उखाड़ फेंका जो उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने में विफल रही." पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र सरकार किसानों की दुर्दशा के प्रति उदासीन है. उन्होंने बिना विस्तार से बताए दावा किया कि किसानों को उनकी फसलों का पर्याप्त मूल्य नहीं मिल रहा है और निर्यात पर प्रतिबंध है. पवार ने कहा कि कर्ज किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या है और इस समस्या का समाधान होना चाहिए.
शरद पवार ने आगे कहा कि अगर सरकार कृषि संकट पर आंखें मूंदे रही, तो हजारों में चल रही (किसानों की) आत्महत्याएं लाखों में पहुंच सकती हैं और हम मूकदर्शक नहीं बने रह सकते. प्रदर्शन के दौरान, राकांपा (शपा) नेताओं ने प्याज, अंगूर और अन्य फसलों के लिए उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की भी मांग की. राकांपा (शपा) महासचिव रोहित पवार ने पूछा कि महाराष्ट्र ने पिछले आठ सालों में जीएसटी के रूप में राष्ट्रीय खजाने में 2 लाख करोड़ रुपये दिए हैं. सरकार कर्ज़ माफी के लिए 35,000 करोड़ रुपये क्यों नहीं दे सकती?"
(सोर्स- PTI)
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