'किसान तक' की खबर का असर, महाराष्‍ट्र में 300 एकड़ खेत से निकाला जा रहा बारिश का पानी, जिला प्रशासन एक्टिव

'किसान तक' की खबर का असर, महाराष्‍ट्र में 300 एकड़ खेत से निकाला जा रहा बारिश का पानी, जिला प्रशासन एक्टिव

महाराष्ट्र के अकोला जिले में 300 एकड़ खेत में चार महीने से जमा बारिश का पानी ‘किसान तक’ की रिपोर्ट के बाद निकाला गया. 50-60 किसान जलभराव से परेशान थे. प्रशासन ने देर से कार्रवाई की, लेकिन अब जेसीबी से अस्थायी बांध तोड़कर पानी छोड़ा गया है.

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'किसान तक' की खबर का असर, महाराष्‍ट्र में 300 एकड़ खेत से निकाला जा रहा बारिश का पानी, जिला प्रशासन एक्टिवजेसीबी की मदद से खेतों से निकाला गया पानी

महाराष्ट्र के अकोला जिले के म्हैसांग और आसपास के खेत शिवार में चार महीने से रुका हुआ बरसाती पानी आखिरकार निकलना शुरू हो गया है. यहां 50 से 60 किसानों की करीब 300 एकड़ खेती तालाब में तब्दील हो चुकी थी. किसान बार-बार शिकायत कर रहे थे, लेकिन राजस्व विभाग के अधिकारी अनदेखी कर रहे थे. किसान तक पर जब यह मुद्दा उठाया गया तो प्रशासन की नींद टूटी. रिपोर्ट प्रसारित होने के महज 48 घंटे बाद ही तहसीलदार दल-बल के साथ मौके पर पहुंचे और सुबह से ही जेसीबी लगाकर बांध तोड़कर पानी की निकासी शुरू कर दी.

जलभराव से परेशान किसानों ने बताई अपनी पीड़ा

किसानों ने बताया कि जून से लगातार बारिश का पानी शिवार में जमा था. राजस्व विभाग के एक मंडल अधिकारी ने अपनी जमीन में पानी न जाने देने के लिए अस्‍थायी बांध बना दिया था. इसके बाद उनकी देखा-देखी कई किसानों ने भी बांध बनाए, जिसका खामियाजा 50-60 किसानों को भुगतना पड़ा और उनकी खरीफ की बुवाई भी रुक गई.

किसानों का कहना है- “हम रोज अपनी आंखों के सामने अपनी जमीन को तालाब बनते देख रहे थे. शिकायतें तहसील से लेकर राजस्व विभाग तक की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.” वहीं, जबकिसान तक के माध्‍यम से किसानों की हालत दिखाई गई तो प्रशासन हरकत में आया और अब जेसीबी से अस्‍थायी बांध तोड़कर पानी छोड़ा गया. खेत से पानी निकलने पर किसानों ने आभार जताया, खबर का असर देखकर किसानों के चेहरे खिल उठे.

मंडल अध‍िकारी ने डुबाेई खेत की जमीन

उन्होंने कहा, “हम महीनों से अधिकारियों और नेताओं को कह रहे थे, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया. किसान तक की वजह से हमारी आवाज दिल्ली तक पहुंची और प्रशासन को मजबूरन कार्रवाई करनी पड़ी.” इस करवाई के बाद मौके पर मौजूद किसानों ने कहा कि मंडल अधिकारी शेख अंसारुद्दीन पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपनी जमीन बचाने के लिए बांध डलवाया और किसानों को डुबो दिया.

तहसीलदार की लीपापोती

तहसीलदार मौके पर पहुंचे तो उन्होंने सफाई देते हुए कहा, “इस बार बारिश ज्यादा हुई है, निकासी का समय नहीं मिला. अब हम पानी निकाल रहे हैं.” लेकिन, वहीं किसानों ने सवाल उठाया कि “क्या राजस्व विभाग के अधिकारियों को खेतों में चार महीने से खड़ा पानी नजर नहीं आ रहा था?”

जलभराव के मामले में कार्रवाई करने पहुंचे तहसीलदार सुरेश कवले ने बताया कि रुका पानी जेसीबी मशीन से निकाल रहे हैं. किसानों की शिकायत पर कार्रवाई की जा रही है. उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि पिछले 5 सालों से यह बांध तैयार किया जा रहा था, लेकिन इस इतनी बारिश हुई कि वह बारिश का पानी खेत में रुक गया. यह कहते हुए तहसीलदार मंडल अधिकारी को बचाते दिखाई दिए और इस मामले में लीपापोती करते रहे.

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