भोपाल ईस्टर्न बॉयपास पर सड़क धंसने के मामले में जांच कमेटी गठित हो गई है, जो सात दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. वहीं, इस घटना में अब किसानों का नाम भी उछल आया है. अफसरों ने किसानों द्वारा मिट्टी खोदने का आरोप लगाया है. पीडब्लूडी विभाग के मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (MPRDC) ने मंगलवार शाम को सड़क धंसने के मामले पर बयान जारी करते हुए बताया कि प्रथम दृष्टया निरीक्षण में तकनीकी अधिकारियों ने पाया कि आर.ई. वॉल का निर्माण निवेशकर्ता द्वारा निर्धारित तकनीकी मानकों के अनुसार नहीं किया गया था.
इस्तेमाल की गई मिट्टी की क्वालिटी संतोषजनक नहीं थी और इम्बैंकमेंट में जरूरी स्टोन पिचिंग का कार्य नहीं किया गया था, जिसके कारण बारिश के सीजन में पानी का रिसाव होने से मिट्टी कमजोर हो गई. इसके अलावा, किसानों द्वारा दीवार के पास मिट्टी की खुदाई किए जाने से जल निकासी में बाधा उत्पन्न हुई, जिसके परिणामस्वरूप इम्बैंकमेंट के भीतर पानी भर गया और सड़क का हिस्सा धंस गया. वहीं, कांग्रेस ने राज्य सरकार पर हमला बोला है.
निगम ने तत्काल तीन वरिष्ठ तकनीकी अधिकारियों की एक जांच समिति गठित की है, जो सात दिवस के अंदर विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी. साथ ही, क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत का कार्य तत्काल आरंभ कर दिया गया है, जिसे दस दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. निर्माण में प्रयुक्त मिट्टी के सैंपल लेकर उन्हें केंद्रीय प्रयोगशाला, लोक निर्माण विभाग, में परीक्षण के लिए भेजा गया है. परीक्षण परिणाम सामने आने के बाद और जांच प्रतिवेदन के आधार पर निर्माण कार्य में लापरवाही के लिए जिम्मेदार निवेशकर्ता, कंसलटेंट और संबंधित विभागीय अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाएगी.
आपको बता दें कि सोमवार को भोपाल पूर्वी बाईपास पर सूखी सेवनिया रेलवे ओवर ब्रिज (आरओबी) के पास सड़क धंस गई थी. बाईपास पर स्थित आर.ई. वॉल अचानक क्षतिग्रस्त हो गई, जिससे लगभग 75 मीटर लंबाई का सड़क हिस्सा धंस गया था. हालांकि इस दुर्घटना में किसी भी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है. मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम (एमपीआरडीसी) के अधिकारियों ने तुरंत एक्शन लेते हुए पूरे क्षेत्र को बैरिकेड कर दिया और यातायात को दूसरी लेन से डायवर्ट कर सुचारू रूप से संचालित किया जा रहा है.
भोपाल पूर्वी बॉयपास चार लेन मार्ग का निर्माण बी.ओ.टी. (टोल) योजना के अंतर्गत मेसर्स ट्रांसट्रॉय प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद द्वारा किया गया था. यह परियोजना 18 नवंबर 2010 को हुए कंसेशन अनुबंध के तहत वर्ष 2012-13 में पूरी की गई थी. अनुबंध के अनुसार इसकी अवधि 15 वर्ष निर्धारित थी, लेकिन साल 2020 में निवेशकर्ता द्वारा अनुबंध की शर्तों का पालन न करने के कारण अनुबंध निरस्त कर दिया गया और कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट किया गया था.
वहीं, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने MPRDC की शुरुआती जांच रिपोर्ट में किसानों के मिट्टी खोदने को वजह बताने पर सरकार पर हमला करते हुए कहा कि अपनी नाकामी को छिपाने के लिए किसानों पर दोष डाला जा रहा है. अगर किसान मिट्टी खोद रहे थे तो आपका विभाग तब क्या कर रहा था? पूरे प्रदेश की सड़कों का हाल खराब है लेकिन मंत्री कहते हैं कि जब तक सड़कें रहेगी तब तक गड्ढे रहेंगे.
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