BASAI का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन खत्म, खेती को जलवायु अनुकूल बनाने पर हुई चर्चा

BASAI का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन खत्म, खेती को जलवायु अनुकूल बनाने पर हुई चर्चा

BASAI की अध्यक्ष संदीपा कानिटकर ने कहा  कि खेती तभी टिकाऊ होगी जब मिट्टी की सेहत, खाने की सुरक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा. किसानों की आय बढ़ाने में एग्री-बायोलॉजिकल उद्योग बड़ी भूमिका निभा सकता है.

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BASAI का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन खत्म, खेती को जलवायु अनुकूल बनाने पर हुई चर्चाBASAI का राष्ट्रीय सम्मेलन खत्म

बायोलॉजिकल एग्री सॉल्यूशंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया (BASAI) ने नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन “सतत खेती के लिए जैविक उपाय – जलवायु से बचाव का रास्ता” आयोजित किया. इस मौके पर नीति बनाने वाले विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और उद्योग जगत से जुड़े लोग एक मंच पर आए और खेती को टिकाऊ और जलवायु के अनुकूल बनाने पर चर्चा की.

अभी कुछ दिनों पहले ही कृषि मंत्रालय ने बायो-स्टिमुलैंट्स की क्वालिटी और नकली उत्पादों को लेकर चिंता जताई है. ऐसे समय में BASAI 2025 ने दिखाया कि किस तरह बायो-स्टिमुलैंट्स, बायोफर्टिलाइजर और बायो पेस्टीसाइड से किसान अपनी फसल की पैदावार बढ़ा सकते हैं. साथ ही मिट्टी को सेहतमंद बना सकते हैं और बदलते मौसम के असर को कम कर सकते हैं.

किसानों की आय बढ़ाएगी एग्री-बायोलॉजिकल उद्योग

इस मौके पर BASAI की अध्यक्ष संदीपा कानिटकर ने कहा  कि खेती तभी टिकाऊ होगी जब मिट्टी की सेहत, खाने की सुरक्षा और पर्यावरण की सुरक्षा पर ध्यान दिया जाएगा. किसानों की आय बढ़ाने में एग्री-बायोलॉजिकल उद्योग बड़ी भूमिका निभा सकता है. अगर सरकार से सही नीतिगत सहयोग मिले तो भारत दुनिया में बायोफर्टिलाइजर, बायो-स्टिमुलैंट्स और बायो पेस्टीसाइड का अग्रणी देश बन सकता है.

BASAI के सीईओ विपिन सैनी ने कहा कि भारत के किसान हमारी खाद्य प्रणाली की रीढ़ हैं. BASAI 2025 का मकसद किसानों को ऐसे वैज्ञानिक और टिकाऊ समाधान देना है, जिससे उन्हें और धरती दोनों को लाभ मिले.

जैविक खेती पर 6 नई किताबें की गईं जारी

कार्यक्रम में जैविक खेती पर 6 नई किताबें जारी की गईं और हाइड्रोपोनिक्स और वॉटर सॉल्युबल फर्टिलाइजर से जुड़ी नई तकनीकें भी प्रस्तुत की गईं. इसके अलावा प्रदर्शनी में कैन बायोसिस, बायोस्टैड्ट, पीजे मारगो, प्रभात ग्लोबल, माइक्रोएल्गा, आईपीएल बायोलॉजिकल्स, कोरोमंडल त्रिशूल, इनेरा पुष्पा जे शाह, पेपटेक समेत कई बड़ी कंपनियों ने भाग लिया. चर्चा में महिला उद्यमिता और किसान-आधारित नवाचारों को भी आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया.

बायो पेस्टीसाइड बाजार तेजी से बढ़ने की उम्मीद

रिपोर्ट्स के अनुसार भारत का बायो-स्टिमुलेंट्स बाजार 2032 तक लगभग तीन गुना होने की संभावना है. (यूएसडी 410.78 मिलियन से बढ़कर 1,135.96 मिलियन डॉलर). वहीं, बायोफर्टिलाइजर का बाजार 2033 तक 399.67 मिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर लगभग 11.50 फीसदी रहेगी. बायो पेस्टीसाइड का बाजार भी तेजी से बढ़ने की उम्मीद है. यह सब दिखाता है कि जैविक उपाय अब किसानों की कमाई और खेती को मौसम के असर से बचाने का मजबूत जरिया बन रहे हैं.

जानिए क्या है BASAI

BASAI के बारे में: BASAI (बायोलॉजिकल एग्री सॉल्यूशंस एसोसिएशन ऑफ इंडिया) का गठन 13 जून 2019 को किया गया था. यह संगठन 52 कंपनियों, किसान संगठनों और राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहे अनुसंधान संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है. BASAI का मकसद है, जैविक समाधानों के जरिए खेती को अधिक टिकाऊ, जलवायु-सहनशील और उत्पादक बनाना.

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