MP Election 2023 : 'भाई को भरत' बताने वाली प्रहलाद पटेल की चिट्ठी बनी 'रामबाण'

MP Election 2023 : 'भाई को भरत' बताने वाली प्रहलाद पटेल की चिट्ठी बनी 'रामबाण'

भाजपा ने मप्र के विधानसभा चुनाव में इस बार अपने कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों को भी उम्मीदवार बना कर सियासी पंड‍ितों को चौंका दिया. इस फेहरिस्त में केंद्रीय मंत्री और दमोह से सांसद प्रहलाद सिंह पटेल भी शामिल हैं. इस चुनाव में वह हैवीवेट उम्मीदवार तो हैं, लेकिन आसपास की सीटें भी जिताने की जिम्मेदारी के चलते चुनावी डगर उनके लिए इतनी आसान भी साबित नहीं हुई.

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MP Election 2023 : 'भाई को भरत' बताने वाली प्रहलाद पटेल की चिट्ठी बनी 'रामबाण'Madhya Pradesh election result

भाजपा ने केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को नरसिंहपुर जिले की नरसिंहपुर सीट से उम्मीदवार बनाया है. इस सीट पर मौजूदा विधायक प्रहलाद पटेल के छोटे भाई जालम सिंह पटेल हैं. भाजपा ने छोटे भाई की जगह बड़े भाई को टिकट देकर ऐसा राजनीतिक जोखिम (Political Risk) उठाया है, जिसका वांछित परिणाम न मिलना, दोनों भाइयों के राजनीतिक भविष्य के लिए नासूर साबित हो सकता था, लेकिन पटेल ने इस सीट पर 31 हजार से ज्यादा मतों से जीत दर्ज कर भाजपा के जोखि‍म को तोहफा में तब्दील कर दिया.

सीट का समीकरण

कांग्रेस ने इस सीट पर लाखन सिंह पटेल को उम्मीदवार बनाया. लाखन सिंह पिछले चुनाव में भी कांग्रेस के उम्मीदवार थे, लेकिन जालम सिंह से लगभग 15 हजार वोट से हार गए थे. लोध जाति के मतदाताओं की बहुलता वाली इस सीट को भाजपा के प्रभाव वाली सीटों में शुमार किया जाता है. साल 2013 के चुनाव में भी भाजपा उम्मीदवार जालम सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार सुनील जायसवाल को 48 हजार वोटों से हराया था. जालम सिंह इस सीट से 3 बार विधायक रह चुके हैं.

सियासी सफर

नरसिंहपुर सीट इस बार भाजपा के लिए नाक का सवाल बन चुकी है. वजह साफ है, 5 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके प्रहलाद पटेल और 3 बार से विधायक उनके भाई जालम सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर है. नरसिंहपुर के गोटेगांव में 28 जून 1960 को जन्मे पटेल ने जबलपुर विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हुए 1980 का छात्रसंघ चुनाव जीतकर अपने सियासी सफर की शुरुआत की. शुरू से ही आरएसएस और भाजपा से जुड़े रहे पटेल पेशे से वकील हैं.

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चिट्ठी का असर

भाजपा द्वारा मौजूदा विधायक जालम सिंह पटेल का टिकट काटकर उनके भाई प्रहलाद सिंह पटेल को टिकट पर विरोधी दलों ने दोनों भाईयों के बीच आपसी मतभेद होने का मुद्दा उठाया. इससे जनता भ्रमित न हो, इसके लिए दोनों भाईयों ने सार्वजनिक तौर पर स्थि‍ति को स्पष्ट किया. छोटे भाई जालम सिंह ने बयान जारी कर कहा कि भाजपा की ओर से उन्हें भी चुनाव लड़ने का विकल्प दिया गया था लेकिन इससे परिवारवाद को बढ़ावा मिलने के पार्टी के सिद्धांत को ठेस पहुंचती, इसलिए उन्होंने इस विकल्प को चुनने के बजाय दोनों भाइयों द्वारा मि‍लकर पार्टी के लिए चुनाव लड़ना बेहतर समझा.

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बाद में प्रहलाद पटेल ने क्षेत्रवासियों के नाम एक भावुक पत्र लिखा. इसमें उन्होंने राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते पारिवारिक कलह की घटनाओं वाले इस दौर का हवाला देते हुए छोटे भाई द्वारा खुद चुनाव न लड़ने के फैसले को पारिवारिक संस्कारों का नतीजा बताया. उन्होंने कहा कि छोटे भाई का फैसला एक ऐसा त्याग है जो दूसरों के लिए प्रेरणा बनेगा. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि वह खुद तो भगवान राम की तरह नहीं हो सकते, लेकिन छोटे भाई के त्याग ने उसे भरत के समतुल्य बना दिया. भाई को भरत बताने वाली चिट्ठी का क्षेत्र में असर तो हुआ है, इसके बावजूद  नरसिंहपुर का चुनावी मुकाबला इस बार दिलचस्प जरूर रहा.

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