केंद्र सरकार अब किसानों की समस्याओं को गांव के स्तर पर हल करने के लिए ‘कृषि क्लीनिक’ खोलने की योजना बना रही है. हाल ही में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि यह फैसला किसानों से मिले सुझावों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. यह क्लीनिक किसानों को फसलों में लगने वाले कीटों, बीमारियों और खेती से जुड़ी अन्य परेशानियों का तुरंत समाधान प्रदान करेंगे.
‘विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)’ के दौरान सरकार को देशभर के किसानों से कई अहम सुझाव प्राप्त हुए. इस अभियान में किसानों ने अपनी ज़मीनी परेशानियों को साझा किया, जैसे-फसलों में लगने वाले कीटों की पहचान, बीजों की उपलब्धता और बाजार में उचित मूल्य न मिलना. इनमें से एक सुझाव यह भी था कि गांव के स्तर पर ऐसा केंद्र हो जहां किसान तुरंत सलाह और समाधान पा सकें. इसी सुझाव के आधार पर कृषि क्लीनिक की योजना सामने आई.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के वैज्ञानिक इन सभी सुझावों की गहराई से समीक्षा कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, एक किसान ने सुझाव दिया कि टमाटर की ऐसी किस्में विकसित की जाएं जिन्हें धूप में सुखाकर लंबे समय तक स्टोर किया जा सके, जिससे कोल्ड स्टोरेज की जरूरत न पड़े. ऐसे व्यावहारिक सुझावों को लागू करने पर विचार किया जा रहा है.
मध्य प्रदेश, जो कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का गृह राज्य है, वहां की स्थितियों ने इस योजना को और मजबूती दी है. यहां के किसान मंडियों में फसलों के उचित मूल्य न मिलने, बढ़ती इनपुट लागत, और नकली या खराब गुणवत्ता वाले कृषि रसायनों से परेशान हैं. इसके अलावा, किसानों को महंगे हो रहे हाइब्रिड बीजों की भी शिकायत है. इन समस्याओं ने यह साफ कर दिया कि स्थानीय स्तर पर समाधान देने वाली व्यवस्था की सख्त जरूरत है.
VKSA अभियान से यह भी सामने आया कि छोटे किसान अभी भी कई सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ नहीं ले पा रहे हैं. इसकी एक वजह यह है कि उन्हें आधुनिक कृषि यंत्रों और तकनीकी जानकारी की कमी है. इसी को देखते हुए सरकार ने तय किया है कि छोटे किसानों के लिए सब्सिडी पर छोटे कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे. साथ ही, उन्हें नई किस्मों और आधुनिक खेती की तकनीक पर विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा.
किसानों की बड़ी समस्याओं में से एक है फसलों का खराब हो जाना और बाज़ार तक न पहुंच पाना. इस समस्या को हल करने के लिए सरकार उत्पादन क्षेत्रों में कोल्ड चेन विकसित करने पर विचार कर रही है. इससे सब्जियों और फलों को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा. इसके अलावा, किसानों को मंडियों से जोड़ने और फसलों की बेहतर कीमत दिलाने के लिए बाजार लिंक भी मजबूत किए जाएंगे.
अक्सर देखा गया है कि किसानों को अपनी ज़मीन की मिट्टी की गुणवत्ता की पूरी जानकारी नहीं होती, जिससे उर्वरक और बीजों का सही इस्तेमाल नहीं हो पाता. सरकार अब इस दिशा में भी काम करेगी और मिट्टी की जांच, सॉयल हेल्थ कार्ड और समेकित खेती प्रणाली (Integrated Farming System) पर भी किसानों को ट्रेनिंग दी जाएगी.
"कृषि क्लीनिक" योजना सरकार की एक दूरदर्शी पहल है जो किसानों को गांव स्तर पर वैज्ञानिक सलाह, तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगी. इससे न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि उनकी खेती भी टिकाऊ और आधुनिक बनेगी. यह कदम ‘विकसित भारत’ और ‘आत्मनिर्भर किसान’ की दिशा में एक मजबूत आधारशिला साबित हो सकता है.
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