Ahoi Ashtami Vrat 2023: अहोई अष्टमी पर भूल कर भी न करें ये काम, गर्भवती महिलाएं दें खास ध्यान

Ahoi Ashtami Vrat 2023: अहोई अष्टमी पर भूल कर भी न करें ये काम, गर्भवती महिलाएं दें खास ध्यान

पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत मनाया जाता है. अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं द्वारा अपनी संतान की सलामती और उज्ज्वल भविष्य के लिए रखा जाता है.

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Ahoi Ashtami Vrat 2023: अहोई अष्टमी पर भूल कर भी न करें ये काम, गर्भवती महिलाएं दें खास ध्यानअहोई अष्टमी पर भूल कर भी न करें ये काम

पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अहोई अष्टमी का व्रत मनाया जाता है. यह व्रत माताएं अपने बच्चों की सलामती के लिए करती हैं. इस बार अहोई अष्टमी व्रत पर रवि पुष्य योग का संयोग बन रहा है. अहोई अष्टमी का व्रत निर्जला रखा जाता है और माता अहोई की पूजा अर्चना की जाती है. यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की उन्नति के लिए की जाती है. इस दिन माताएं अपने संतान के लिए पूरे दिन व्रत करने के बाद शाम के समय तारों को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं. कुछ लोग अपनी मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा को अर्घ्य देकर भी व्रत खोलते हैं. आइए जानते हैं कब है अहोई अष्टमी का त्योहार और क्या है इस व्रत का महत्व.

संतान के लिए रखा जाता है व्रत

अहोई अष्टमी का व्रत महिलाओं द्वारा अपनी संतान की सलामती और उज्ज्वल भविष्य के लिए रखा जाता है. अहोई अष्टमी को अहोई आठे के नाम से भी जाना जाता है. करवा चौथ की तरह ही अहोई अष्टमी भी एक कठिन व्रत है क्योंकि इस व्रत को भी निर्जला रखा जाता है. इस व्रत का पारण तारों को अर्घ्य देकर किया जाता है.

कब है अहोई अष्टमी का त्योहार

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 05 नवंबर को अहोई अष्टमी का व्रत मनाया जा रहा है. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 33 मिनट से लेकर शाम 06 बजकर 52 मिनट तक है और इस दिन तारे देखने का समय शाम 05 बजकर 58 मिनट है. वहीं कुछ लोग चांद देख कर भी व्रत का पारण करते हैं. चंद्रोदय का समय रात 11 बजकर 45 मिनट पर है.

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अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि 

सुबह जल्दी उठ कर (सूर्योदय से पहले) स्नान करने के बाद पूरे दिन निर्जल व्रत रखा जाता है. वहीं शाम के समय बच्चों के साथ बैठकर अहोई अष्टमी माता की पूजा की जाती है. दीवारों पर अहोई अष्टमी माता की तस्वीर बनाते हैं. या फिर अहोई माता का कैलेंडर लगाते हैं. शाम को तारा निकलते ही उसको जल और खाना अर्पण करके ही व्रत खोलते हैं.

अहोई अष्टमी का महत्व

अहोई अष्टमी के दिन पूरी श्रद्धा के साथ भगवान शिव-पार्वती और भगवान गणेश और कार्तिकेय की पूजा करने और व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. बता दें कि इस व्रत का पारण कुछ महिलाएं तारों को देखकर करती हैं तो कुछ चंद्रमा के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलती हैं. इसके अलावा अष्टमी पर राधा कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व माना जाता है. वहीं अगर आपको प्रेग्नेंसी में दिक्कतें आ रही हैं तो अहोई अष्टमी के दिन राधा कुंड में स्नान जरूर करें. बच्चों की दीर्घायु और परिवार की वंश वृद्धि के लिए महिलाएं अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

अहोई अष्टमी के दिन मिट्टी से जुड़ा कोई भी काम नहीं करनी चाहिए. ऐसे में बगीचे आदि में भी काम करने से बचना चाहिए. साथ ही, इस दिन नुकीली चीजों का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इसलिए महिलाएं इस दिन सिलाई आदि से जुड़े कार्य न करें.

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