Biosecurity: भेड़-बकरी के फार्म में भी जरूरी है बायो सिक्योरिटी, ऐसे करें पालन, पढ़ें डिटेल 

Biosecurity: भेड़-बकरी के फार्म में भी जरूरी है बायो सिक्योरिटी, ऐसे करें पालन, पढ़ें डिटेल 

Biosecurity in Goat-Sheep Farm भेड़-बकरियों की बहुत सारी ऐसी बीमारी हैं जिनका अभी कोई इलाज नहीं है. लेकिन वैक्सीनेशन से इनकी रोकथाम की जाती है. बावजूद इसके कई बार ये बीमारियां पशुओं के शेड में फैल जाती हैं. इस तरह के जोखि‍म को कम और पूरी तरह से खत्म करने के लिए ही एक्सपर्ट बायो सिक्योरिटी अपनाने की सलाह देते हैं. 

Advertisement
Biosecurity: भेड़-बकरी के फार्म में भी जरूरी है बायो सिक्योरिटी, ऐसे करें पालन, पढ़ें डिटेल बकरी पालन के लिए जरूरी टिप्स

Biosecurity in Goat-Sheep Farm बायो सिक्योरिटी का पालन पशुओं यानि भेड़-बकरियों को बीमारियों से बचाने के लिए किया जाता है. खासतौर पर वो बीमारियां जो संक्रमण फैलने से होती हैं. संक्रमण को एक जगह से दूसरी जगह फैलने से रोकने के लिए ही बायो सिक्योरिटी का इस्तेमाल किया जाता है. इससे जहां पशु बीमारियों से बचते हैं तो उत्पादन भी कम नहीं होता है और उत्पादन की लागत भी नहीं बढ़ती है. सबसे खास बात ये है कि पशुओं के शेड में बायो सिक्योरिटी का पालन करने से पशुपालक, पशुपालक का परिवार और शेड में काम करने वाला स्टाफ जूनोटिक बीमारियों से दूर रहता है. जूनोटिक बीमारी उन्हें कहते हैं जो पशुओं से इंसानों को होती हैं. कोरोना, इबोला ऐसी ही बीमारियां हैं जो पशु-पक्षि‍यों से इंसानों में आईं थी. 

पशुओं के बाड़े में ऐसे फैलता है संक्रमण 

  • बाड़े में पशुओं की आवाजाही से संक्रमण फैलता है. 
  • बीमारी से मरे पशु के शव का ठीक से निपटान न होने पर. 
  • बाड़े में दूषि‍त खाद और मिट्टी से. 
  • बाड़े में काम करने वाले स्टाफ से. 
  • बाड़े में बाहरी लोगों की आवाजाही से. 
  • हाथ, जूते, कपड़े, बाल आदि के जरिए दूषि‍त मिट्टी और खाद से.
  • पशुओं के बाड़े में आने वाले वाहन और उपकरण से.   
  • फीड और फोडर के दूषि‍त होने से. 
  • पीने का पानी दूषि‍त होने से. 
  • पशु और पक्षि‍यों के दूषि‍त मल-मूत्र से. 
  • जहरीले पौधों और खरपतवार से. 
  • जंगली पशु-पक्षि‍यों के बाड़े में आने से. 
  • पालतू जानवरों से भी संक्रमण फैलता है. 
  • बाड़े में निकलने वाले कीड़े-मकोड़ों से. 

संक्रमण फैलने से रोकने के लिए करें ये काम 

  • फार्म के लेआऊट का एक चित्र बनाना
  • चारों ओर तथा अंदर बाढ़ लगाना
  • आहार, जल तथा बिस्त़रका प्रबंधन
  • पशु स्वास्थ्य प्रबंधन
  • इस्तेमाल होने वाले उपकरणों की सफाई. 
  • मृत पशुओं के शवों का ठीक से निपटान करने से. 
  • चारागाह प्रबंधन 
  • स्टाफ मैनेजमेंट. 
  • निगरानी और रिकार्ड रखना 
  • बीमारियों के प्रकोप के लिए योजना बनाना.  
  • पशु कल्याण और बायो सिक्योरिटी. 

फार्म में ये काम भी जरूरत करें 

अगर कोई व्यक्ति बाहर से फार्म में आ रहा है तो उसके शूज बाहर ही उतरवाएं या फिर उन्हें सेनेटाइज करें. हाथ और उसके कपड़ों को भी सेनेटाइज कराएं. मुमिकन हो तो पीपीई किट पहनाकर ही फार्म के अंदर ले जाएं. जब भी फार्म पर कोई नया पशु-पक्षी आए तो उसे कम से कम 15 दिन के लिए अपने पशुओं से अलग कमरे या जगह पर रखें. मौसम के हिसाब से फार्म का रखरखाव करें. खासतौर से बरसात के मौसम में जब मच्छर-मक्खियों का प्रकोप ज्यादा होता है.  

ये भी पढ़ें- Fish Farming: कोयले की बंद खदानों में इस तकनीक से मछली पालन कर कमा रहे लाखों रुपये महीना 

ये भी पढ़ें- Cage Fisheries: 61 साल बाद 56 गांव अपनी जमीन पर कर रहे मछली पालन, जानें वजह

POST A COMMENT