आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में इस वक्त प्रचंड गर्मी पड़ रही है. इन दोनों ही राज्यों के कई जिले हीटवेव की चपेट में हैं. तेज धूप और गर्मी के कारण फसलों और पशुओं को भी नुकसान हो सकता है. इसे देखते हुए भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई है. इस सलाह का पालन करके किसान फसलों और पालतू पशुओं को होने वाले नुकसान से बच सकते हैं. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के किसानों को कहा गया है कि नमी की कमी के कारण पौधों में होने वाले तनाव को कम करने के लिए खेतों की नियमित सिंचाई करते रहें और खेत की नमी बनाए रखें.
आंध्र प्रदेश के किसानों से कहा गया है कि वे खड़ी फसलों में लगातार हल्की सिंचाई करते रहें. तेज धूप के कारण मिट्टी से होने वाली नमी के नुकसान को कम करने के लिए खेतों में मल्चिंग करें. बता दें कि आंध्र प्रदेश के कृष्णा और गोदावरी क्षेत्रों में गंभीर हीट वेव की स्थिति देखी जा रही है. इन क्षेत्रों में चावल और मक्का की खेतों में लगातार सिंचाई करने की सलाह दी गई है. धान के खेत, सब्जियों और फलों के बगीचों में पोषक तत्वों की कमी नहीं हो, इसके लिए नाइट्रोजनयुक्त उर्रवरकों का इस्तेमाल करें. आंध्र प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्र में रबी फसलों की कटाई करने के साथ ही मूंगफली की बुवाई कर दें. मूंगफली की बुवाई करने के बाद खेत में पर्याप्त सिंचाई करें.
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उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश में चल रही गर्मी की लहर को देखते हुए किसानों को गन्ने की सिंचाई करने की सलाह दी गई है. साथ ही गन्ने की मल्चिंग करने के लिए कहा गया है. तिल की फसल में सुबह आठ बजे से पहले या शाम में पांच बजे के बाद 01 प्रतिशत मल्टी के पांच ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने के लिए कहा गया है. रायलसीमा के कम वर्षा वाले क्षेत्रों को लेकर जारी सलाह में कहा गया है कि रबी की कटाई के बाद हरी खाद जैसे ढैंचा की बुवाई करें. इसके साथ ही फसल के अकुंरण और वृद्धि के लिए खेत में पर्याप्त नमी बनाए रखें.
तेलंगाना के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि यहां पर गर्मी के पुर्वानुमान को देखते हुए फसलों की सिंचाई अवस्था के आधार पर करें. इसके साथ ही जहां पर पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है, उन क्षेत्रों में किसान चारा ज्वार और चारा मक्का की बुवाई करें. साथ ही कम पानी वाले क्षेत्रों में किसान चारा बाजरा और चारा लोबिया की खेती करें. इसके साथ ही सब्जियों में 15 दिनों के अंतराल पर पोटेशियम नाइट्रेट एक प्रतिशत का छिड़काव करें.
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उत्तरी तेलंगाना में वर्तमान मौसम की परिस्थितियों के कारण आर्मीवॉर्म का प्रकोप हो सकता है. उत्तरी तेलंगाना में मौजूदा मौसम की स्थितियां आर्मीवर्म की घटनाओं में कमी लाने के लिए अनुकूल हैं. अगर खेत में इसका प्रकोप दिखाई देता है तो इसके नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ की दर से 8 से 10 फेरोमोन ट्रैप लगाएं. इसके अलावा अगर प्रकोप अधिक दिखाई देता है तो इमामेक्टिन बेंजोएट 0.4 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से तने के चारों ओर डालें.
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