
निर्वाचन आयोग ने विधानसभा चुनाव वाले सभी 5 राज्यों में नवनिर्वाचित विधायकों की सूची संबद्ध राज्य के राज्यपाल को सौंप दी है. इसके साथ ही आयोग ने इन राज्यों में लागू आचार संहिता को वापस लेते हुए निर्वाचन प्रक्रिया का पटाक्षेप कर दिया है. वहीं, चुनाव वाले राज्यों में नई सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाली बीजेपी ने सबसे मौजूं सवाल 'कौन बनेगा मुख्यमंत्री' का जवाब तलाशने की कवायद तेज कर दी है. एमपी और छत्तीसगढ़ की भाजपा इकाई के नेता दिल्ली पहुंच चुके हैं. इन राज्यों के सीएम पद के दावेदारों ने भी दिल्ली में डेरा डाल दिया है. वहीं विरोधी खेमे कांग्रेस में हार के कारणों की तलाश तेज हो गई है. हारे हुए पक्ष के निशाने पर एक बार फिर चुनाव आयोग और ईवीएम आ गई है.
रविवार को चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से ही जश्न के रंग में रंगी भाजपा की एमपी और छत्तीसगढ़ इकाई के नेताओं ने दिल्ली दरबार में दस्तक दे दी है. एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा दिल्ली पहुंच चुके हैं. चौहान, भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य हैं. संसदीय बोर्ड की मंगलवार को संभावित बैठक में ही तीनों राज्यों में सीएम पद के नाम पर फैसला किया जाना है.
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वहींं, पार्टी की छत्तीसगढ़ इकाई के नेता एवं केंद्रीय मंत्री रेणुका सिंह, सांसद विजय बघेल और प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव संसद के शीतकालीन सत्र में भाग लेने के लिए दिल्ली में ही हैं. सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और रायगढ़ से विधायक चुने गए ओपी चौधरी के भी मंगलवार को दिल्ली पहुंच रहे हैं.
समझा जाता है कि भाजपा इस बार तीनों राज्यों में सीएम पद को लेकर नए चेहरे पर दांव लगा सकती है. सीएम पद पर ताजपोशी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीती रात पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ शुरुआती दौर की मैराथन बैठक कर ली है. पार्टी नेतृत्व आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए इन राज्यों में नए नेतृत्व को उभारने का अवसर देने का पक्षधर है.
हालांकि पार्टी नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि एमपी में शिवराज और राजस्थान में वसुंधरा राजे सिंधिया को हटाने से आगामी लोकसभा चुनाव में नकारात्मक असर पड़ेगा. इसलिए अभी इन प्रदेशों में सीएम पद पर किसी तरह के बदलाव काे टालने की हिमायत की जा रही है.
चुनाव वाले 3 राज्यों में करारी हार का सामना कर रही कांग्रेस ने अब हार के कारणों पर मंथन शुरू कर दिया है. एमपी में प्रदेश कांग्रेस कमलनाथ ने मंगलवार को सभी उम्मीदवारों को भोपाल तलब किया है. माना जा रहा है कि प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में दिन भर चलने वाली बैठक में हर सीट पर हार के कारणों की समीक्षा की जाएगी. पार्टी की ओर से बताया गया कि कमलनाथ ने उम्मीदवारों को संबोधित कर उनकी सीट पर चुनाव परिणाम की रिपोर्ट मांगी है. प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी की ओर से जारी बैठक की तस्वीरों में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव सहित कोई बड़ा नेता नहीं दिख रहा है.
गौरतलब है कि एमपी की 230 सदस्यीय विधानसभा कांग्रेस को महज 66 सीटों पर ही जीत मिली है. जबकि कयास इस बात के लगाए जा रहे थे कि एंटी इंकम्बेंसी के कारण कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिलेगा. कांग्रेस का नेतृत्व भी इस बात के लिए आश्वस्त था.
पिछले चुनावों में जिस तरह से हारने वाले दल की ओर से हार का ठीकरा ईवीएम पर फोड़ दिया जाता था, उस सिलसिले को कांग्रेस ने बरकरार रखा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने डाक मतपत्रों की गिनती के आंकड़ों का हवाला देकर बीजेपी की जीत पर सवाल उठाए. सिंह ने ईवीएम का जिक्र किए बिना एमपी की सभी विधानसभा सीटों पर डाक मतपत्र की गिनती में अधिकांश सीटों पर भाजपा के हारने की बात कही है.
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उन्होंने दावा किया कि डाक मतपत्रों की गिनती में कांग्रेस 230 में से 199 सीटों पर भाजपा से आगे रही. उन्होंने सोशल मीडिया पर डाक मतपत्रों की गिनती के आंकड़े साझा करते हुए लिखा, ''Postal ballots के ज़रिए कांग्रेस को वोट देने वाले और हम पर भरोसा जताने वाले सभी मतदाताओं का धन्यवाद. तस्वीरों के आंकड़ों में एक प्रमाण है जो यह बताता है कि पोस्टल बैलेट के ज़रिए हमें यानी कांग्रेस को 199 सीटों पर बढ़त है. जबकि इनमें से अधिकांश सीटों पर ईवीएम काउंटिंग में हमें मतदाताओं का पूर्ण विश्वास न मिल सका. यह भी कहा जा सकता है कि जब तंत्र जीतता है तो जनता (यानी लोक) हार जाती है.''
प्रदेश कांग्रेस के मीडिया प्रभारी केके मिश्रा ने डाक मतपत्रों की गिनती के आधार पर चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी को भी सवालों के घेरे में ले लिया. मिश्रा ने सोशल मीडिया पर कहा कि कर्मचारियों ने सर्वाधिक डाक मत कांग्रेस को दिए, यदि उन्हें ईमानदारी से वोट डालने दिए जाते तो यह संख्या और भी लाखों में बढ़ती किंतु राज्य चुनाव आयोग ने भी BJP का पूरा साथ दिया. हर जिले में हजारों कर्मचारियों,पुलिसकर्मियों को षड्यंत्र पूर्वक वोट ही नहीं डालने दिए. इस षड्यंत्र/पाप में पूरी तरह शामिल रहकर दोषी सिर्फ और सिर्फ मुख्य चुनाव पदाधिकारी हैं.
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