भारतीय कॉफी निर्यातकों ने चिंता जताई है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए 26 प्रतिशत टैरिफ से भारत की इंस्टेंट यानी तुरंत बनकर तैयार होने वाले कॉफी के निर्यात पर बुरा असर पड़ सकता है. कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश राजा ने कहा कि इस फैसले से भारतीय कॉफी को अमेरिका में ब्राज़ील और इक्वाडोर जैसी देशों से कड़ी टक्कर मिल सकती है, क्योंकि इन देशों पर केवल 10 प्रतिशत टैरिफ लागू है.
रमेश राजा ने बताया, "भारत की इंस्टेंट कॉफी पर 26 प्रतिशत टैरिफ होने से इसकी कीमत अमेरिकी बाजार में ज्यादा हो जाएगी. इससे हमारे उत्पादों की प्रतिस्पर्धा कम हो जाएगी और निर्यात घट सकता है."
हालांकि, स्पेशियलिटी कॉफी यानी खास किस्म की प्रीमियम कॉफी पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा. स्पेशियलिटी कॉफी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डीएम पूर्णेश ने बताया कि इस कॉफी की कीमतों पर बातचीत पहले ही हो चुकी थी. हालांकि, कुछ अमेरिकी खरीदारों ने छूट की मांग जरूर की है.
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भारत के कुल कॉफी निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी सिर्फ 4% से भी कम है. 1.8 अरब डॉलर के कुल निर्यात में अमेरिका को करीब 67 मिलियन डॉलर की कॉफी भेजी जाती है. मात्रा की बात करें तो भारत से अमेरिका को हर साल लगभग 9,000 टन कॉफी निर्यात होती है, जबकि 2024-25 में कुल निर्यात 3.89 लाख टन होने का अनुमान है. इनमें से 60% हिस्सा इंस्टेंट कॉफी का होता है, जबकि बाकी सामान्य और स्पेशियलिटी कॉफी होती है.
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ब्राज़ील, जो दुनिया का सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है, केवल 10% टैरिफ के तहत आता है. ऐसे में अमेरिकी बाजार में उसे भारत की तुलना में ज्यादा फायदा मिल सकता है. वहीं, वियतनाम पर 46% टैरिफ है, जो भारत से भी ज्यादा है.
रमेश राजा ने कहा कि अब भारतीय निर्यातकों को अन्य देशों में नए बाजार तलाशने होंगे. पहले ही भारत, लैटिन अमेरिकी देशों की तुलना में लागत के कारण नुकसान में है. खासकर मेक्सिको, जो अमेरिका के लिए एक प्रमुख कॉफी आपूर्तिकर्ता बनता जा रहा है.
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