मशहूर कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी ने हाल ही में एक नीति पत्र में कहा है कि भारत को अपनी कृषि व्यापार नीति में बदलाव करना चाहिए. उनका मानना है कि देश को हर वस्तु के लिए अलग नीति अपनानी होगी, ताकि भारत को वैश्विक बाजार में ज़्यादा फायदा मिल सके.
यह नीति पत्र भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों पर शोध परिषद (ICRIER) के लिए तैयार किया गया है. इसमें कहा गया है कि भारत को उन कृषि उत्पादों पर "आउटलायर टैरिफ" यानी 50% से ज़्यादा शुल्क लगाने से बचना चाहिए. इसके बजाय, देश को गेहूं और डेयरी जैसे जरूरी उत्पादों पर "टैरिफ कोटा" लागू करने पर विचार करना चाहिए, ताकि घरेलू उत्पादकों को नुकसान न हो और अंतरराष्ट्रीय व्यापार भी प्रभावित न हो.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से निर्यात होने वाले कई उत्पादों पर 26% टैरिफ लागू कर दिया गया है. इससे भारत के लिए अमेरिकी बाजार में मुकाबला करना कठिन हो सकता है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत के लिए एक मौका भी हो सकता है.
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शोधपत्र के अनुसार, चीन पर 54%, बांग्लादेश पर 37% और वियतनाम पर 46% टैरिफ लगाया गया है, जो भारत की तुलना में कहीं ज़्यादा है. इसका मतलब है कि भारत अब उन बाजारों को पकड़ सकता है, जहां से ये देश पीछे हटेंगे, खासकर वस्त्र और कपड़ा जैसे श्रम-गहन क्षेत्रों में.
भारत अमेरिका को झींगा (Shrimp) सबसे ज़्यादा निर्यात करता है. अभी इन उत्पादों पर 0-5% टैक्स लगता है और भारत का बाजार हिस्सेदारी 40% से अधिक है. लेकिन 26% टैरिफ लागू होने के बाद भारतीय उत्पाद महंगे हो जाएंगे, जिससे इक्वाडोर और अर्जेंटीना जैसे देशों को फायदा मिल सकता है.
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चावल पर भी असर पड़ सकता है. अमेरिका में थाईलैंड पहले ही 36% टैक्स चुका रहा है, लेकिन अब भारत का भी मुकाबला और मुश्किल हो जाएगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को अपने बासमती और अन्य चावल किस्मों की ब्रांडिंग और गुणवत्ता सुधारनी होगी ताकि वो अमेरिकी बाजार में अपनी पकड़ बनाए रख सके.
नीति पत्र में सलाह दी गई है कि भारत को अमेरिका पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहना चाहिए. इसके बजाय यूरोपीय संघ (EU) और ब्रिटेन जैसे बाजारों की ओर ध्यान देना चाहिए. EU की वैश्विक आयात में 28.42% हिस्सेदारी है, जो इसे भारत के लिए एक बड़ा अवसर बनाता है. इसके लिए भारत को इन देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर तेज़ी से काम करना होगा.
शोध पत्र में सुझाव दिया गया है कि भारत को अमेरिका के साथ रिश्ते बिगाड़ने की बजाय रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए. अगले हफ्ते से शुरू हो रही भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता को “मिशन 500” का हिस्सा बनाना चाहिए, यानी 2030 तक भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार 500 अरब डॉलर तक पहुँचाया जाए.
इस पूरी रिपोर्ट से एक बात साफ़ होती है कि भारत को वैश्विक व्यापार में आगे बढ़ने के लिए अपनी नीति में लचीलापन लाना होगा. चाहे वह झींगा हो, चावल हो या कपड़ा, हर क्षेत्र में सोच-समझकर फैसले लेने होंगे. साथ ही, अमेरिका के अलावा यूरोपीय संघ और अन्य बाजारों में भी अवसर तलाशने होंगे.
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