Harsingar: सिर्फ फूल ही नहीं, कई बीमारियों का भी इलाज है परिजात, जानें प्रयोग का सही तरीका

Harsingar: सिर्फ फूल ही नहीं, कई बीमारियों का भी इलाज है परिजात, जानें प्रयोग का सही तरीका

परिजात या हरसिंगार का पौधा गठिया, बुखार, डायबिटीज और त्वचा रोगों में फायदेमंद है. यह सिर्फ फूल नहीं, एक प्राकृतिक औषधि है. हिंदू धर्म में परिजात का विशेष स्थान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान परिजात वृक्ष का उद्भव हुआ था. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण इस वृक्ष को स्वर्ग से द्वारका ले आए थे.

Advertisement
Harsingar: सिर्फ फूल ही नहीं, कई बीमारियों का भी इलाज है परिजात, जानें प्रयोग का सही तरीका परिजात का फूल है बेहद फायदेमंद

परिजात यानी हरसिंगार या नाइट जैस्मिन न केवल अपनी सुंदरता और खुशबू के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि आयुर्वेद में इसे कई रोगों के उपचार में भी उपयोगी माना गया है. यह एक ऐसा पौधा है जो धार्मिक, औषधीय और सुंदरता हर दृष्टियों से महत्वपूर्ण है. इसकी पहचान सफेद फूलों से होती है जिनका केंद्र नारंगी होता है और जिनकी खुशबू रातभर वातावरण को महका देती है.  परिजात सिर्फ एक सुंदर और सुगंधित फूल ही नहीं है बल्कि यह प्रकृति का एक ऐसा अद्भुत तोहफा है जो शरीर, मन और आत्मा तीनों को स्वस्थ रखता है. इसकी औषधीय विशेषताएं इसे हर घर के बगीचे में स्थान देने योग्य बनाती हैं.  बड़े-बुजुर्ग कहते हैं, 'जहां परिजात खिला, वहां रोग और क्लेश खुद ब खुद दूर हो गए.' 

धार्मिक महत्व और पौराणिक कथा

हिंदू धर्म में परिजात का विशेष स्थान है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान परिजात वृक्ष का उद्भव हुआ था. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण इस वृक्ष को स्वर्ग से द्वारका ले आए थे. इसलिए इसे 'स्वर्ग वृक्ष' भी कहा जाता है. कई मंदिरों के प्रांगण में परिजात का पौधा लगाया जाता है क्योंकि इसे पवित्र और शुभ माना जाता है. परिजात का पेड़ न केवल औषधीय दृष्टि से लाभकारी है बल्कि यह वातावरण को भी शुद्ध करता है. इसकी खुशबू से मन शांत होता है और मानसिक तनाव में कमी आती है. यही कारण है कि इसे घरों और मंदिरों के आंगन में लगाना शुभ माना जाता है.  

क्‍या हैं इसके फायदे 

  • परिजात के फूल, पत्तियां, छाल और बीज सभी औषधीय दृष्टि से उपयोगी हैं. आयुर्वेद में इसे 'कल्पवृक्ष' की संज्ञा दी गई है क्योंकि यह अनेक रोगों को दूर करने की क्षमता रखता है. 
  • परिजात की पत्तियों का काढ़ा गठिया, जोड़ों के दर्द और बुखार में बेहद कारगर माना जाता है. इसे सुबह खाली पेट सेवन करने से शरीर के सूजन और दर्द में राहत मिलती है. 
  • इसके पत्तों में एंटी-वायरल और एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं. परिजात की पत्तियों का काढ़ा मलेरिया, चिकनगुनिया और डेंगू जैसे बुखार में भी शरीर को राहत पहुंचाता है. 
  • रिसर्च में पाया गया है कि परिजात के अर्क से ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल रहता है. साथ ही यह लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ाता है. 
  • फूलों और पत्तों से बना काढ़ा सर्दी-जुकाम, खांसी और गले की खराश को दूर करता है. इसकी प्राकृतिक गर्म तासीर ब्रीदिंग सिस्‍टम को मजबूत बनाती है. 
  • परिजात के फूलों का अर्क त्वचा पर लगाने से दाग-धब्बे कम होते हैं और त्वचा में निखार आता है.
  • इसकी पत्तियों का तेल बालों में लगाने से बाल मजबूत होते हैं और डैंड्रफ की समस्या भी कम होती है. 

कैसे करें प्रयोग 

आयुर्वेदिक डॉक्‍टर अक्सर परिजात की पत्तियों का काढ़ा सुबह खाली पेट या रात को सोने से पहले लेने की सलाह देते हैं. दो से तीन पत्ते पानी में उबालकर उसका सेवन किया जा सकता है. इसके अलावा फूलों का चूर्ण भी बनाया जाता है जो कई दवाओं में प्रयोग होता है. परिजात प्राकृतिक औषधि है, लेकिन किसी भी हर्बल उपचार को शुरू करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श लेना जरूरी है. अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट संबंधी परेशानियां हो सकती हैं. 

यह भी पढ़ें- 

 

POST A COMMENT