
रिकॉर्ड उत्पादन के दावे के बीच केंद्र सरकार ने रबी मार्केटिंग सीजन 2024-25 के लिए दस्तावेजों में गेहूं खरीद का टारगेट 372.9 लाख टन रखा है. लेकिन पीआईबी के प्रेस नोट में सरकार इसे 300 से 320 लाख टन बता रही है. सवाल उठता है कि आखिर टारगेट को लेकर इतना विरोषाभाष क्यों? क्या केंद्र सरकार इस साल भी खरीद लक्ष्य पूरा होने के प्रति कॉन्फिडेंस में नहीं है? या फिर टारगेट कम दिखाकर और खरीद ज्यादा करके इससे जुड़े अधिकारी वाहवाही लूटना चाहते हैं? या फिर सरकार को यह अंदाजा हो चुका है कि जब ओपन मार्केट में दाम ज्यादा है तो फिर सरकारी क्रय केंद्रों पर गेहूं कौन बेचेगा.
केंद्र सरकार अपने रिकॉर्ड में बता रही है कि इस साल 37.29 मिलियन टन गेहूं खरीदा जाएगा. लेकिन, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) ने 28 फरवरी 2024 को नई दिल्ली में राज्यों के खाद्य सचिवों की जो बैठक आयोजित की उसमें खरीद अनुमान सिर्फ 300-320 लाख मीट्रिक टन बताया गया. दूसरी ओर अब भी भारतीय खाद्य निगम (FCI) के रिकॉर्ड में खरीद लक्ष्य 37.29 मिलियन टन यानी 372.9 लाख टन है. यही नहीं इसी हिसाब से राज्यों को खरीद का लक्ष्य भी दिया गया है.
इस साल सरकारी गोदाम में गेहूं बहुत कम है इसलिए सरकार पर ज्यादा से ज्यादा गेहूं खरीद करने का दबाव बढ़ गया है. लेकिन अभी भी कई राज्यों में ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से ज्यादा है, इसलिए सरकारी खरीद वैसी नहीं है जैसी होनी चाहिए.
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एक अप्रैल को बफर स्टॉक के नॉर्म्स के अनुसार सरकार के पास 74.60 लाख मीट्रिक टन गेहूं होना चाहिए. जबकि भारतीय खाद्य निगम और राज्य एजेंसियों के पास कुल गेहूं का स्टॉक 75.02 लाख टन है, यानी स्टॉक नॉर्म्स से मामूली ही अधिक है. यह 16 साल के निचले स्तर पर है. यह 2021 में 273.04 लाख टन था. इसी तरह 2022 में 189.90 और 2023 में 83.45 लाख टन था.
एक्सपोर्ट बैन के बावजूद पिछले दो साल से ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से अधिक रह रहा है, इसलिए सरकार बफर स्टॉक के लिए तय किए गए गेहूं खरीद लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रही है.
रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 में 341.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन खरीद सिर्फ 262 लाख मीट्रिक टन पर ही सिमट गई.
इससे पहले 2022-23 में 444 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन सरकारी खरीद मात्र 188 लाख मीट्रिक टन पर ही सिमट गई थी. देखना यह है कि इस साल सरकार 372.9 लाख टन के टारगेट का पीछा कर पाएगी या नहीं.
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