बकरीद कुर्बानी का त्यौहार है. इस मौके पर हलाल पशुओं की कुर्बानी दी जाती है. हलाल वो जिसके बारे में कुरान और हदीस में बताया गया है. लेकिन हमारे देश में ज्यादातर बकरों की कुर्बानी दी जाती है. कुछ राज्यों में भेड़ की कुर्बानी ज्यादा दी जाती है. लेकिन कुर्बानी का पशु हलाल होने के साथ ही कुर्बानी की दूसरी शर्तों को भी पूरा करता हो. अगर तय शर्तों में से एक भी शर्त छूट जाती है तो ऐसे बकरे की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है. कुर्बानी के बकरे की क्या शर्तें हैं, बकरे में शारीरिक रूप से क्या कमी नहीं होनी चाहिए.
बकरीद में महज आज ही का दिन बाकी है. सोमवार से तीन दिनी बकरीद का त्यौहार शुरू हो जाएगा. बहुत सारे लोगों ने बकरे खरीद लिए हैं. जो रह गए हैं वो आज रात तक खरीदारी कर लेंगे. लेकिन कई पहलूओं पर बकरों की जांच उन्हें भी कर लेनी चाहिए जो बकरे खरीद चुके हैं. क्योंकि अगर किसी भी एक पाइंट पर चूक गए तो कुर्बानी नहीं मानी जाएगी.
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बकरा, भेड़ और भैंस बीमार तो कुर्बानी नहीं दी जा सकती.
कुर्बानी के पशु बकरे, दुम्बे और भैंस में भैंगापन न हो.
कुर्बानी वाले बकरे, दुम्बे और भैंस का सींग टूटा न हो.
बकरे, दुम्बे और भैंस का कान कटना ना हो.
बकरा, दुम्बा या भैंस पैरों से लगंड़ा ना हो.
बकरा, दुम्बा या भैंस कमजोर ना हो.
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बकरे बेचने वाले बकरे के साथ भी 420 का खेल खेलने लगे हैं. कमजोर बकरा भी खरीदार को मोटा-ताजी और तंदरुस्त दिखे इसके लिए बकरे में कई तरह के खेल किए जाते हैं. जैसे बकरे को मोटा दिखाने के लिए उसे जरूरत से ज्यादा पानी पिला देते हैं. अब आप कहेंगे कि बकरा कैसे ज्यादा पानी पी लेता है. तो खेल ये कि बकरा पालक बकरे को एक ऐसी दवाई खिलाते हैं जिससे उसका गला खुश्क हो जाता है. ऐसे में जब बकरा पानी मांगता है तो उसके मुंह से दो लीटर की बोतल लगा दी जाती है. और बकरा गटागट पानी पीए जाता है. ऐसे बकरों की पहचान ये है कि ज्यादा पानी पीने के बाद बकरा जुगाली नहीं कर पाता है. आप गौर करें तो बकरा अगर 15-20 मिनट तक जुगाली नहीं करता है तो समझ लें कि बकरे को जरूरत से ज्यादा पानी पिलाया गया है.
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