17 जून (सोमवार) को बकरीद है. इस दिन हलाल जानवरों की कुर्बानी दी जाती है. हमारे देश में ज्यादातर बकरों की कुर्बानी दी जाती है. कुर्बानी के साथ तीन दिन तक ये त्यौहार मनाया जाता है. तय मानकों के दायरे में आने वाले मुसलमान बकरों की कुर्बानी देते हैं. इस मौके पर बकरों की खूब बिक्री होती है. ये कहना गलत नहीं होगा कि बकरा पालक पूरे साल का मुनाफा बकरीद के मौके पर बकरे बेचकर ही कमा लेते हैं. इस दौरान रोजाना की मंडी के हिसाब से महंगे बकरे बिकते हैं.
एक मोटे अनुमान और एक्सपर्ट के मुताबकि इस बकरीद पर करीब 30 हजार करोड़ रुपये के बकरों की बिक्री हुई है. और ये पैसा सीधे बकरा पालक की जेब में गया है. बकरा पालकों को इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार रहता है. इस बकरीद पर बकरे बेचकर बकरा पालक अब अगली बकरीद के लिए बकरों की तैयारी में लग गए होंगे.
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स्टार साइंटीफिक गोट फार्मिंग के संचालक मोहम्मद राशिद ने किसान तक को बताया कि देश में मुसलमानों की करीब 22 से 23 करोड़ आबादी है. अब अगर ये मान लें कि 10 फीसद मुसलमान या मोटा-मोटा दो करोड़ लोग बकरों की कुर्बानी करते हैं तो बकरों की संख्या हुई दो करोड़. ये तो सिर्फ बकरों का ही आंकड़ा है. इसमे भेड़ और भैंस शामिल नहीं है. कुर्बानी वो मुसलमान करते हैं जिनके पास साढ़े सात तोला सोना या 52 तोला चांदी हो.
बकरा पालक मुबीन खान ने किसान तक को बताया कि हर साल बाजार के हिसाब से मंडियों में 12 हजार रुपये से लेकर 20 हजार रुपये की कीमत तक का बकरा खूब बिकता है. बकरे तो इससे भी ज्यादा महंगे आते हैं, जैसे 25 से 30 हजार, 50 हजार से लेकर एक लाख तक का, लेकिन उनकी बिक्री कम ही होती है. 12 से 20 हजार वाली रेंज की बात करें तो इसमे भी 15 से 20 हजार की कीमत वाले बकरे ज्यादा होते हैं.
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जिन बकरों की कीमत 30 हजार से 50 हजार के बीच होती है वो प्यार नस्ल के होते हैं. क्योंकि जो बकरा प्योर नस्ल का होगा तो वो दिखने में खूबसूरत भी होगा. और बकरीद के दौरान बिकने वाले बकरों में खूबसूरती भी देखी जाती है. अब अगर बकरों के कुल कारोबार की बात करें तो बकरों की औसत कीमत 15 हजार रुपये से दो करोड़ बकरों की कुल कीमत की बात करें तो वो होती है 30 हजार करोड़ रुपये. इसके अलावा भारत से सऊदी अरब में भी बकरों की सप्लाई होती है. वहां इस दौरान दुनियाभर से लोग हज करने पहुंचते हैं. ऐसे लोगों को भी वहां एक बकरे की कुर्बानी करनी होती है. इसलिए अरब में करोड़ों बकरों की डिमांड बकरीद के मौके पर होती है.
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