scorecardresearch
Paddy: धान के खेतों में अब नहीं होगी खरपतवार की चिंता, बढ़ेगी उपज, होगा मुनाफा

Paddy: धान के खेतों में अब नहीं होगी खरपतवार की चिंता, बढ़ेगी उपज, होगा मुनाफा

किसान अक्सर धान के खेतों में खरपतवार की समस्या देखते हैं. खेतों में फसलों के साथ-साथ खरपतवार भी उग आते हैं और वे फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का मुकाबला करते हैं. जिससे फसल की उपज और गुणवत्ता दोनों प्रभावित होती है. ऐसे में किसानों को इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए कुछ जरूरी कदम उठाए गए हैं.

advertisement
खरपतवार की समस्या से मिलेगी निजात खरपतवार की समस्या से मिलेगी निजात

खेतों में लगी फसलों में खरपतवार का खतरा सबसे अधिक रहता है. खरपतवार फसलों के साथ उसी जमीन में उगते हैं. जिस वजह से फसलों में पोषक तत्वों में कमी हो जाती है. एग्री-इनपुट फर्म सिंजेंटा और एफएमसी कॉर्पोरेशन ने बुधवार को पूरे एशिया में चावल की फसलों में घास के खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए एक नई और लाभकारी जड़ी-बूटी तकनीक पेश करने के लिए एक रणनीतिक साझेदारी की घोषणा की. सिनजेन्टा के समर्थन से एफएमसी द्वारा खोजा और विकसित किया गया नया सक्रिय संघटक 'टेटफ्लुपीरोलिमेट' पारंपरिक रोपे गए और सीधे बीज वाले चावल में लगाया जा सकता है. किसान तक से हुए खास बातचीत में एफएमसी के मदन मोहन ने बताया कि यह धान के खेत में उगने वाले खरपतवार को पनपने नहीं देता है. जिससे फसल से अच्छी उपज प्राप्त होती है.

यह नए सक्रिय संघटक टेटफ्लूपायरोलिमेट की विशेषता वाली सफल तकनीक है, जो खरपतवार को रोकने में मदद करती है और मौजूदा शाकनाशियों के लिए खरपतवार प्रतिरोध की चुनौती को पहचानते हुए हुए चावल की पैदावार बढ़ाने का वादा करती है.

खेतों में खरपतवार की संभावना

विभिन्न प्रकार की धान की खेती में खरपतवार नियंत्रण के लिए खरपतवारों की जानकारी होना अति आवश्यक है. वर्षा सिंचित उपजाऊ भूमि में अक्सर एक साल या उससे अधिक समय तक के लिए खरपतवार की समस्या खेतों में  पायी जाती है, जबकि निचली भूमि में एक वर्षीय घास, मुंथा तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार ही पाये जाते हैं. यह खरपतवार फसल में पोषक तत्वों की कमी का मुख्य कारक भी हैं.

जमीन में पोषक तत्वों की मात्रा, खाद देने का तरीका और समय का भी फसल एवं खरपतवारों की वृद्धि पर प्रभाव पड़ता है. फसल और खरपतवार दोनों ही भूमि में जरूरी पोषक तत्वों के लिए संघर्ष करते हैं. खरपतवार नियंत्रण करने से पोषक तत्वों की उपलब्धता फसल को ही मिले यह सुनिश्चत की जा सकती है. पोषक तत्वों की जरूरी मात्रा को ठीक समय एवं उचित तरीके से देने पर धान की फसल इनका समुचित उपयोग कर पाती है. असिंचित उपजाऊ भूमि में जहां खरपतवारों की समस्या अधिक होती है वहां इस तकनीक की मदद से खरपतवारों को रोका जा सकता है.

ये भी पढ़ें: Paddy Hybrid Variety: धान की इन हाइब्रिड किस्मों की करें खेती, मिलेगी बंपर पैदावार

खरपतवारों को रोकने में मदद करेगा यह तकनीक

एफएमसी के कार्यकारी उपाध्यक्ष और मुख्य विपणन अधिकारी डायने अल्लेमांग ने कहा, "टेटफ्लूपायरोलिमेट एक परिवर्तनकारी शाकनाशी है जो बढ़ते मौसम में महत्वपूर्ण घास खरपतवारों का मौसम भर नियंत्रण प्रदान करता है." "अपने नए तरीके की कार्रवाई के कारण, टेटफ्लुपीरोलिमेट का कोई ज्ञात क्रॉस-प्रतिरोध नहीं है और यह दुनिया भर के लाखों उत्पादकों को एक महत्वपूर्ण खरपतवार प्रबंधन प्रदान करेगा. यह बहुत कम खुराक दरों और एक असाधारण स्थिरता प्रोफ़ाइल के साथ बकाया अवशिष्ट नियंत्रण प्रदान करता है.

खरपतवार को रोक उपज को बढ़ाएगा यह तकनीक-एफ़एमसी

टेटफ्लूपायरोलिमेट पानी, पोषक तत्वों, प्रकाश और स्थान के लिए फसल के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाले विनाशकारी घास खरपतवारों को नियंत्रित करके चावल उत्पादन की उपज और गुणवत्ता को बढ़ाता है. पारंपरिक रोपे गए चावल में लगाने में आसान होने के अलावा, शाकनाशी सीधे-बीज वाले चावल के लिए भी अत्यधिक अनुकूल है.