गर्मी के चलते अप्रैल में ही अंडा अपने कम से कम रेट पर आ चुका है. कुछ ही बाजार ऐसे हैं जहां अभी अंडा 400 रुपये के 100 के पार है. सबसे ज्यादा खराब हालत देश की बड़ी मंडियों में शामिल बरवाला की है. यहां अंडों के दाम 334 रुपये पर आ गए हैं. पोल्ट्री फार्मर का कहना है कि जब अप्रैल में ये हाल है तो मई-जून में क्या होगा. क्या पोल्ट्री फार्म को ताला लगाना पड़ेगा. क्योंकि इस रेट पर अब अंडों की लागत निकालना भी मुश्किल हो गया है. एक अंडे पर 3.75 से लेकर चार रुपये तक की लागत आती है. वजह है पोल्ट्री फीड में शामिल मक्का के बढ़ते दाम. महाराष्ट्र से आई खबर ने पोल्ट्री फार्मर को और परेशान कर दिया है. महाराष्ट्र में मक्का का दाम समर्थन मूल्य (MSP) से भी दोगुना हो गए हैं.
मंडी में शनिवार को मक्का का अधिकतम दाम चार हजार रुपये क्विंटल पर पहुंच गया था. पोल्ट्री सेक्टर में मक्का के रेट और उसकी कमी को लेकर खलबली मची हुई है. पोल्ट्री एसोसिएशन लगातार केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर मक्का की परेशानी से निजात दिलाने की मांग कर रही हैं. इतना ही नहीं मक्का का रेट कैसे कम किए जाए ये सुझाव भी दे रही हैं. लेकिन केन्द्र सरकार की तरफ से अभी कोई भी फौरी राहत मिलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है. जबकि पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े कारोबारी मक्का की नई फसल से आस लगाए बैठे हैं.
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बाजार के जानकारों की मानें तो मक्का का एमएसपी इस समय 2090 रुपये प्रति क्विंटल है. जबकि 26 अप्रैल को मुंबई की मंडी में इसका न्यूनतम दाम 2600 रुपये, अधिकतम दाम चार हजार और औसत दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल तक रहा है. मंडी में आवक की बात करें तो सिर्फ 182 क्विंटल हुई थी. इसी तरह 27 अप्रैल को पुणे मंडी में न्यूनतम दाम 2500, अधिकतम 2600 और औसत दाम 2550 रुपये प्रति क्विंटल रहा है. जानकारों का ये भी कहना है कि पोल्ट्री और डेयरी सेक्टर में मक्का का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है. लेकिन जब से इथेनॉल में मक्का का इस्तेमाल शुरू हुआ है तब से मक्का का दाम ने रफ्तार पकड़ ली है.
यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर की एक रिपोर्ट ने 2022-23 में वैश्विक मक्के का उत्पादन 4.5 फीसदी घटकर 1161.86 मिलियन मीट्रिक टन होने का अनुमान जताया था. यूक्रेन में मक्के का उत्पादन कम रहने का अनुमान लगाया गया था. असल में रूस-यूक्रेन के मौजूदा युद्ध को देखते हुए यूक्रेन में मक्के के रकबे और यील्ड पर नकारात्मक असर पड़ा है. वहीं शरद ऋतु की बारिश की वजह से पोल्टावा, सुमी और चर्कासी के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में फसल में देरी दर्ज की गई थी.
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दूसरी ओर रूस में भी मक्का उत्पादन कम होने का अनुमान लगाया गया था. यूरोपीय संघ में 23.6, यूक्रेन में 35.9 और अमेरिका में मक्का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले 7.6 फीसदी कम रहने का अनुमान लगाया था. इसका असर भी भारत में मक्के के भाव पर साफ-साफ देखने को मिल रहा है.
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