हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के प्रांतीय अध्यक्ष बजरंग गर्ग ने गेहूं और सरसों की खरीद को लेकर राज्य सरकार पर कई आरोप लगाए हैं. उन्होंने कई अनाज मंडियों का दौरा करने के बाद कहा कि खरीदी गई फसलों का उठान न होने की वजह से किसान परेशान हैं. कई जिलों में बारिश होने के कारण गेहूं व सरसों भीग गया है. मंडियों में आज भी लाखों टन गेहूं व सरसों रखा हुआ है. जिसके कारण प्रदेश के किसानों व आढ़तियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. जबकि रविवार व सोमवार को प्रदेश के सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, झज्जर, गुरुग्राम, रोहतक, करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, यमुनानगर, पंचकूला, कैथल, जींद, पानीपत जिलों में हल्की बारिश हुई है.
गर्ग ने कहा कि सरकारी अधिकारियों व अनाज उठान के ठेकेदारों की लापरवाही के कारण गेहूं व सरसों उठान में देरी हो रही है. जिसकी वजह से किसानों की फसल का भुगतान करने में देरी हो रही है. बार-बार गेहूं व सरसों गीली होने के कारण खराब हो रही है. ऐसे में सरकार को अधिकारियों की लापरवाही पर उनकी जिम्मेदारी फिक्स करनी चाहिए. गेहूं व सरसों के नुकसान की भरपाई सरकारी अधिकारियों से करवाना चाहिए. सात मई तक प्रदेश में हल्की बारिश होने की जानकारी मौसम विभाग दे रहा है. ऐसे में सरकार को तुरंत प्रभाव से खुले में जो गेहूं व सरसों पड़ा है, उसका उठान करवाना चाहिए. वरना सरकार और किसानों दोनों का नुकसान होगा.
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हरियाणा कान्फैड़ के पूर्व चेयरमैन गर्ग ने कहा कि सरकारी अधिकारी व अनाज उठान के ठेकेदार पैसे खाने के चक्कर में अनाज उठान में देरी कर रहे हैं. गेहूं का तुरंत उठान नहीं हो रहा है. इसलिए कई जिलों में 16 अप्रैल के खरीदे गए गेहूं का अब तक किसानों को भुगतान नहीं हुआ है. जब तक गेहूं खरीद का उठान होकर सरकारी गोदाम में नहीं पहुंच जाता तब तक सरकार की तरफ से किसानों को गेहूं खरीद का भुगतान नहीं होगा. गर्ग ने कहा कि सरकार के 48 घंटे में गेहूं का उठान व 72 घंटे में भुगतान के दावे फेल साबित हो रहे हैं. हरियाणा में करीब 56 लाख टन गेहूं और 3.24 लाख मीट्रिक टन सरसों खरीदा जा चुका है.
गेहूं व सरसों की समय पर खरीद, उठान व फसल का भुगतान न होने से किसान परेशान हैं. सरकार को किसान की फसल मंडी में आते ही उसकी खरीद करके तुरंत भुगतान करना चाहिए. जब पहले से खरीदी गई फसल का मंडी से उठान नहीं होगा तो फिर नई खरीद कैसे होगी. उठान कम हो रही है इसलिए नई खरीद में समस्या आ रही है. ऐसे में किसान और आढ़ती दोनों दुखी हैं. सरकार को मंडियों में फसल आते ही उसे खरीद लेना चाहिए. इसी तरह खरीद होने के बाद तुरंत भुगतान का काम पूरा कर देना चाहिए.
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