सर्दियों में किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने (Stubble Burning) के मामले सामने आने लगते है. इस मामले में योगी सरकार के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बीते दिनों केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ वर्चुअल मीटिंग में जुड़कर पराली जलाने वाले लोगों पर कार्रवाई का आंकड़ा पेश किया. यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि प्रदेश में पराली जलाने की जो घटनाएं हुई हैं उसमें से सात जनपद ऐसे हैं जिनमें पिछले वर्ष की तुलना में घटनाएं कम हुई है. 41 जनपद हमारे ऐसे हैं जिनमें पराली जलाने की घटनाएं बहुत ही कम हुई है और जहां पर भी घटनाएं हुई है वहां पर हम लोगों ने कार्रवाई की है.
उन्होंने बताया कि पराली जलाने में पकड़े गए लोगों पर 17 एफआईआर इस साल दर्ज की गई है. जबकि 70 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई भी किया है. वहीं 10 ग्राम प्रधानों और अन्य लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है तथा 10 लाख 80 हजार रूपए का जुर्माना भी इस साल लगाया गया था जिसमें से 6 लाख 22 हजार 500 रुपए की वसूली की जा चुकी है. शाही ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि पराली ना जलाएं अपने खेत एवं वातावरण को दूषित ना करें. बल्कि पराली का उपयोग चारे एवं जैविक खाद बनाने में करें.
इससे पहले कृषि विभाग ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि अगर किसान पराली जलाने के दोषी पाए जाएंगे, उन्हें 'प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि' का लाभ नहीं मिलेगा. इसके साथ ही, इन किसानों के 'राशन कार्ड' भी निरस्त किए जाएंगे, जिससे वे सरकारी राशन का लाभ नहीं उठा पाएंगे. यही नहीं, इन किसानों को 'सरकारी कल्याणकारी योजनाओं' से भी वंचित कर दिया जाएगा. यह कदम उन किसानों के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा, जो सरकारी सहायता पर निर्भर रहते हैं.
मामले में संभल के उप निदेशक कृषि अरुण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि किसानों के खिलाफ सख्ती यहीं नहीं रुकेगी. कृषि विभाग ने यह भी ऐलान किया है कि दोषी पाए जाने पर किसानों के 'कृषि यंत्रों' को भी जब्त किया जाएगा. इससे पराली जलाने के खिलाफ एक सख्त संदेश जाएगा और अन्य किसान भी नियमों का पालन करने के लिए मजबूर होंगे.
त्रिपाठी ने बताया कि सरकार द्वारा उठाए गए इस सख्त कदम का मुख्य उद्देश्य किसानों को पराली जलाने से रोकना है. कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि जब तक कड़े कदम नहीं उठाए जाते, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी. पराली का उपयोग खाद बनाने में किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण को नुकसान भी नहीं होगा और खेती को लाभ भी मिलेगा.
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