गन्ने के दाम बढ़ाने की मांग अब और भी तेज हो गई है. भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी ग्रुप) ने सरकार से गन्ने के भाव बढ़ाने को लेकर स्पष्ट रूप से अपनी बात काही है. बुधवार सोशल मीडिया फेसबुक पर लाइव आकर राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने सरकार से गन्ने के दाम को बढ़ाने की अपील की है. अपील के साथ सरकार को चेतावनी भी दी गयी कि अगर सरकार इस बात को गंभीरता से नहीं लेती है और गन्ना के दाम को नहीं बढ़ाती है तो किसानों को गोली मारने के लिए तैयार रहे. चढ़ूनी के मुताबिक हरियाणा में सरकार बनने के बाद बीजेपी ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की बात कही थी. पिछले 8 सालों में महंगाई 7 फीसदी बढ़ गई, फिर भी गन्ने के दाम मात्र 2 प्रतिशत बढ़े हैं. चढूनी सहित अन्य किसानों की सरकार से मांग है कि ज्यादा नहीं तो कम से कम थोड़ा रेट बढ़ा दिया जाए ताकि गन्ने की खेती कर रहे किसानों को राहत मिल सके.
गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि अगर सरकार ने रेट नहीं बढ़ाया तो एक बार फिर किसान आंदोलन करेगी. इतना ही नहीं सरकार से 10 जनवरी को किसानों को गोली मारने की भी बात कही गयी है. किसानों से अपील करते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान सिर पर कफन बांध कर आएं. भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए चढ़ूनी ने कहा कि पिछले 8 सालों में गन्ने की कीमत में सिर्फ 52 रुपये की वृद्धि हुई है, जबकि साल 2008 से गन्ना छीलने की मजदूरी दोगुनी हो गई है. ऐसे में गन्ना की खेती कर रहे किसानों को सिर्फ निराशा हाथ लग रही है.
चढ़ूनी ग्रुप पिछले लंबे समय से गन्ने के भाव को बढ़ाकर 450 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार इस लगातार किसानों की बात को टाल रही है. जिस वजह से तंग आकार अंबाला के जिला प्रधान मलकीत सिंह ने कहा कि 5 जनवरी को किसान 2 घंटे के लिए नारायणगढ़ का शुगर मिल को बंद रखेंगे. किसान समूह का कहना है कि जब चीनी के दामों में इतना बढ़त हो सकती है तो फिर सरकार गन्ने का भाव क्यों नहीं बढ़ा रही है.
BKU चढ़ूनी ग्रुप के कहने पर 29 दिसंबर को प्रदेशभर में किसानों ने विधायक और मंत्री का घेराव किया था. इतना ही नहीं किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की थी और CM का पुतला फूंक कर अपना गुस्सा जाता था. हालांकि, इससे पहले भी चढ़ूनी ग्रुप गन्ने के दाम बढ़ाने की मांग को लेकर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की ACS से मुलाकात कर चुके हैं, लेकिन आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला. जिससे परेशान होकर अब किसान एक बार फिर आंदोलन कि बात करते नजर आ रहे हैं.
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