पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि हरियाणा और अन्य राज्यों ने खेतों में पराली जलाने के मामलों को रोकने में बड़ी प्रगति की है. लेकिन पंजाब में ऐसा नहीं हुआ है. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूरक प्रश्नों (supplementary questions) का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पराली जलाने की सबसे ज्यादा घटनाएं पंजाब के संगरूर जिले में हुई हैं, जो मुख्यमंत्री भगवंत मान का गृह जिला है." यादव ने कहा कि केंद्र ने किसानों को अपने खेतों में पराली न जलाने से रोकने के लिए राज्य सरकारों को विशेष अनुदान दिया है और केंद्र ने मशीनें और अन्य उपाय भी दिए हैं. लेकिन फिर भी पराली जलाने की संख्या में कोई कमी नहीं हुई.
भूपेंद्र यादव ने कहा कि हरियाणा और अन्य राज्यों में पराली जलाने को रोकने में जो प्रगति देखी गई है, उतनी प्रगति पंजाब में नहीं हुई है. मैं कहूंगा कि अगर केंद्र द्वारा दिए गए उपायों का उपयोग किया जाता, तो पंजाब में भी ऐसा होता." पराली जलाने को रोकने में वही प्रगति हुई जो अन्य राज्यों में देखी गई.
यादव ने कहा कि केंद्र ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने से रोकने के लिए 2,440 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है. उन्होंने सदन को यह भी बताया कि केंद्र ने देश में वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए 19,711 करोड़ रुपये की राशि निर्धारित की है.
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इस सवाल पर कि क्या केंद्र वायु प्रदूषण के प्रभाव के बारे में बढ़ते सबूतों को देखते हुए 1981 के वायु प्रदूषण कानून और 2009 के राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों की समीक्षा करेगा. यादव ने कहा कि केंद्र ने इसे कम करने के लिए देश भर में 131 शहरों की पहचान की है. वहां प्रदूषण और मानक तय किए गए हैं. उन्होंने कहा कि इन शहरों में वायु प्रदूषण में संतोषजनक सुधार हुआ है.
मंत्री ने कहा, "इन शहरों में अच्छा काम करने वाले कुछ नगर निगमों को इस संबंध में पुरस्कृत भी किया गया है." कांच या रिसाइकिल बोतलों की आपूर्ति को अनिवार्य बनाने पर विचार करने के एक अन्य सवाल के जवाब में, उन्होंने कहा कि केंद्र ने पूरे देश में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया है और राज्य अधिकारियों से भी इसे लागू करने में सहायता करने का अनुरोध किया है.
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