डायबिटीज के मरीजों के लिए बड़ी खुशखबरी है. अब ऐसे मरीजों पर मिठाई और हलवा खाने, चाय पीने की कोई रोक-टोक नहीं होगी. जी भरकर जितनी चाहें मिठाई खा सकेंगे. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोनलॅजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने एक ऐसे ही पौधे की खोज की है. इसका नाम स्टीविया है. साइंटिस्ट की मानें तो इस पौधे की पत्तियों से बना एक चम्मच पाउडर 300 चम्मच चीनी के बराबर होता है. इसे मीठी तुलसी भी कहा जाता है. रिसर्च में सामने आया है कि इस पौधे की पत्तियों में ना तो ग्लूकोज है और ना ही सक्रोज की मात्रा है.
यह पूरी तरह से प्राकृतिक है. एक लम्बे वक्त तक इस्तेमाल करने पर इसका कोई साइड इफेक्टड भी नहीं होता है. जबकि बाजार में बिकने वाले दूसरे आर्टिफिशल शुगर आइटम काफी दिनों तक इस्तेमाल करने से नुकसान देने लगते हैं. खास बात यह है कि दवाई की तरह से इस्तेमाल करने के साथ ही तुलसी के पत्तों की तरह से भी इसकी पत्तियों को किचिन में इस्तेमाल किया जा सकता है.
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आईएचबीटी के इंजीनियर डॉ. मोहित ने किसान तक को बताया कि सबसे पहले स्टीविया की पत्तियों से पाउडर बनाया गया था. जैसे कि इसकी खासियत है कि इसका एक चम्मच पाउडर 300 चम्मच चीनी के बराबर है. लेकिन कुछ लोगों के साथ परेशानी यह है कि एक कप चाय के लिए या हलवा बनाने के लिए पाउडर की मात्रा कैसे तय करें.
इसी को ध्यान में रखते हुए अब इसका लिक्विड भी तैयार किया गया है. एक प्राइवेट कंपनी के साथ हमने एमओयू साइन किया है. वो कंपनी इसे बना रही है. एफडीए और एफएसएसएआई समेत कई संस्थाएं इसको मान्यता दे चुकी हैं. सरकार भी इस प्रोजेक्टस पर साइंटिस्ट को अवार्ड दे चुकी है.
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डायबिटीज के मरीज समेत आम लोग भी स्टीसविया का इस्तेमाल कर सकते हैं. आईएचबीटी के साइंटिस्ट डॉ. प्रोबील कुमार पाल ने किसान तक को बताया कि जम्मू-कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत के ज्यादातर राज्यों में स्टीविया उगाई जा रही है. पंजाब और मध्य प्रदेश में भी इसकी खेती हो रही है.
बड़े-बड़े खेतों में लगाने के साथ ही हम घरों पर तुलसी के पौधे की तरह से भी लगा सकते हैं. अगर हम चाय बना रहे हैं तो स्वादनुसार इसकी एक या दो पत्ती चाय में डालकर पीएंगे तो वो मीठी लगेगी. इतना ही नहीं इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर उस पानी को भी इस्तेमाल किया जा सकता है. उस पानी में सूजी डाल देंगे तो हलवा तैयार हो सकता है. पत्तियों को सुखाकर भी घर में रखकर इस्तेमाल कर सकते हैं.
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