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संयुक्त किसान मोर्चा ने 20 मार्च को दिल्ली में बुलाई महापंचायत, MSP सहित ये हैं प्रमुख मांगें

संयुक्त किसान मोर्चा ने 20 मार्च को दिल्ली में बुलाई महापंचायत, MSP सहित ये हैं प्रमुख मांगें

किसानों की मांग है कि उन्हें भारी कर्ज, गिरवी रखी जमीनों से मुक्ति मिले. फसलों की एमएसपी की मांग बहुत पुरानी है जिसे किसान हमेशा से उठाते रहे हैं. 20 मार्च को दिल्ली में होने वाली बैठक में इसे पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा. किसानों की मांग ये भी है कि उनके लोन को माफ किया जाए.

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देश के कई इलाकों में किसान आंदोलनरत हैं. इसमें मुंबई भी एक है देश के कई इलाकों में किसान आंदोलनरत हैं. इसमें मुंबई भी एक है

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के बैनर तले तीन साल बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में किसान फिर जुट रहे हैं. संयुक्त किसान मोर्चा को मिली पुलिस अनुमति के अनुसार, 20 मार्च को सुबह 10 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक हजारों किसान रामलीला मैदान में महापंचायत करेंगे. यानी कि किसान 18 मार्च से ही दिल्ली की सीमा में घुसना शुरू कर देंगे. 11 राज्यों से एआईकेएमएस (ऑल इंडिया किसान मजदूर सभा) के कई हजार सदस्य रामलीला मैदान कूच करेंगे. किसानों की अपनी कुछ पुरानी मांगें हैं जिसे लेकर वे समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं. यह आंदोलन दिल्ली में 20 मार्च को फिर से तेज होता दिखेगा.  

इस बारे में संयुक्त किसान मोर्चा सेंट्रल कोआर्डीनेशन कमिटी के सदस्य डॉ. आशीष मित्तल ने कहा, “भारतीय खेती को कॉर्पोरेट और विदेशी गिद्धों से बचाने और लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाने के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को सुधारने की दिशा में किसानों की आय सुनिश्चित करने की मांग उठ रही है.“ 

आशीष मित्तल का आरोप है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने उत्पादन की कुल लागत, यानी सी-2 और उस पर 50 फीसदी पर, न्यूनतम समर्थन मूल्य, एमएसपी लागू करने का लिखित आश्वासन दिया था. लेकिन सरकार ने एक समिति बनाई जिसमें 26 सदस्य ऐसे थे जो कॉर्पोरेट के पक्ष में थे और इस मांग का खुलकर विरोध कर रहे थे. तब से उनकी सरकार ने फॉस्फेटिक उर्वरकों की कीमतों में 50 फीसदी की बढ़ोतरी की है और खाद्य सब्सिडी और मनरेगा बजट में भी भारी कटौती की है. आरोप है कि दिखावटी देशभक्ति के परदे के पीछे से विश्व व्यापार संगठन के फरमान के तहत फसलों की रूपरेखा, खाद्य प्रसंस्करण, भंडारण और विपणन में कॉर्पोरेट घरानों की कब्जेदारी बढ़ा रही है. ये बातें आशीष मित्तल ने कही. 

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मित्तल ने कहा, बड़े कॉर्पोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए भारतीय किसानों के हितों का सौदा न हो, इसके लिए एसकेएम इन नीतियों का विरोध करेगी. 

किसानों की ये हैं मांगें

किसानों की मांग है कि उन्हें भारी कर्ज, गिरवी रखी जमीनों से मुक्ति मिले. फसलों की एमएसपी की मांग बहुत पुरानी है जिसे किसान हमेशा से उठाते रहे हैं. 20 मार्च को दिल्ली में होने वाली बैठक में इसे पुरजोर तरीके से उठाया जाएगा. किसानों की मांग ये भी है कि उनके लोन को माफ किया जाए. किसानों का कहना है कि कृषि में कॉर्पोरेट और विदेशी कंपनियों पर रोक लगे जिससे देश की कंपनियों का विकास हो. 

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एक मांग ये भी है कि कृषि प्रसंस्करण में लगी विदेशी कंपनियों पर रोक लगे. साथ ही खाद्य आपूर्ति के मामले में भी किसान कुछ ऐसी ही मांग उठा रहे हैं. पंपिंग सेट चलाने और सिंचाई के लिए हर किसान को 300 यूनिट घरेलू बिजली मुफ्त देने की मांग की गई है. साथ ही हर किसान को हर महीने 5000 रुपये पेंशन दिए जाने की मांग उठाई जा रही है. 

किसानों की अगली मांग ये है कि आंदोलन के दौरान उनके खिलाफ दर्ज हुए केस को वापस लिया जाए. अन्य मांगों में कृषि भूमि में विदेशी निवेश पर रोक, भूमि अधिग्रहण कानून 2013 लागू करने की मांग की जा रही है. उसी कानून के तहत जमीन का मुआवजा देने की मांग उठाई जा रही है. साथ ही किसानों को इनपुट टैक्स क्रेडिट दिए जाने की मांग भी अहम है. 

आरएसएस से जुड़े किसान संगठन भारतीय किसान संघ के मोहन मिश्र का कहना है कि कृषि उपज को सहकारी समिति के माध्यम से छोटे-छोटे स्थान पर भंडारण के विकेंद्रीकरण की व्यवस्था के बारे में सरकार ने जो बजट में बताया है, उसे तुरंत लागू किया जाना चाहिए. खेती में इस्तेमाल होने वाले आदान यानी input पर 5-28 प्रतिशत तक जीएसटी कर लागू हो रहा है. जीएसटी कानून के तहत सभी उत्पादकों को इनपुट टेक्स क्रडिट मिलता है, लेकिन किसानों को इनपुट टेक्स क्रेडिट मिलने की कोई व्यवस्था नहीं है. इस पर सरकार को सोचना चाहिए.(रिपोर्ट/रामकिंकर सिंह)