अजमेर जिले में आने वाले मानसून सीजन में 18 लाख पौधे रोपे जाएंगे. ये पौधे अलग-अलग विभागों की ओर से लगाए जाएंगे. इसके लिए विभागों और कार्यालयों को लक्ष्य दिए गए हैं. अजमेर जिला कलक्टर अंश दीप ने बताया कि जिले में राजकीय कार्यालयों एवं विभागों को मानसून के दौरान पौधे लगाने होंगे. इसके लिए वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की ओर से वन विभाग के माध्यम से 18 लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं. वन विभाग द्वारा छह महीने के 7.5 लाख और एक साल के 10.5 लाख पौधे तैयार कर रहा है. इन 18 लाख पौधों को विभागों एवं कार्यालयों के लिए उपलब्ध करवाया जाएगा.
जिला कलक्टर ने बताया कि कार्यालयों द्वारा वन विभाग की पौधशालाओं से राज्य सरकार निर्धारित छह माह के पौधों को नौ रूपये तथा एक साल की उम्र के पौधों को 15 रुपये प्रति पौधों की रेट से खरीदा जाएगा. इसके अलावा पौधों को विभाग अपने वाहनों से ही लेकर जाएंगे और जुलाई माह में अपने-अपने कार्य क्षेत्र में पौधों को रोपित करना होगा. पौधों के रोपण तथा सार-संभाल के सम्बन्ध में जिला प्रशासन को नियमित रिपोर्ट भी देनी होगी.
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नगर निगम अजमेर में 1.96 लाख, नगर परिषद ब्यावर में 55 हजार, नगर परिषद किशनगढ़ में 56 हजार, नगर पालिका केकड़ी में 15 हजार, नगर पालिका पुष्कर में आठ हजार, नगर पालिका सरवाड़ में सात हजार, नगर पालिका बिजयनगर में 12 हजार तथा नगर पालिका नसीराबाद में एक हजार पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है.
इसके अलावा अजमेर विकास प्राधिकरण क्षेत्र में 2.50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही पंचायत समिति अजमेर ग्रामीण में 45,400, अरांई में 20800, भिनाय में 24100, जवाजा में 37200, केकड़ी में 17100, किशनगढ़ में 34,900, मसूदा में 36600, पीसांगन में 24,400, सरवाड़ में 18,300, सावर में 15,100 और श्रीनगर में 26100 पौधे ओरण, चारागाह एवं गोचर भूमि में लगाए जाएंगे.
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इसी तरह जिले में अन्य कार्यालयों जैसे वन विभाग, उच्च माध्यमिक, माध्यमिक, उच्च प्राथमिक और प्राथमिक स्कूलों में भी ये पौधें लगाए जाएंगे. इन सभी विभागों को पौधे लगाने का लक्ष्य दिया जा चुका है.
जिले में अलग-अलग जगहों में से बहुत सारे पौधे ओरण, चारागाह और गोचर भूमि पर भी लगाए जा रहे हैं. इससे यहां के स्थानीय पशुपालकों, चरवाहों को फायदा होगा. ग्रामीणों की भेड़-बकरियों, गायों और अन्य मवेशियों को चरने के लिए घास के साथ-साथ पौधों की फली, फल और पत्ते मिल सकेंगे.
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