बिहार की बड़ी मंडियों में से एक पटना की कृषि उत्पादन बाजार समिति की मछली मंडी है. यहां हर रोज करीब 3 करोड़ रुपये के आसपास मछली का कारोबार होता है. यहां से विभिन्न जिलों में मछली भेजी जाती है, लेकिन राज्य सरकार के द्वारा बाजार समिति भंग होने के बाद से मंडी में काफी अव्यवस्था व्याप्त है. टूटी हुई नालियां, सड़क पर जलजमाव एवं गंदगी के बीच व्यापारी मछली का कारोबार करने को मजबूर हैं. इसके साथ ही बाजार समिति को नए सिरे से बनाने का काम भी चल रहा है. शादी का सीजन चल रहा है और इस दौरान मछली की मांग भी बढ़ी है. हाल के समय में कतला, रोहू, पंगेसियस मछली की मांग सबसे ज्यादा है. बाजार समिति के थोक मछली व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष अनुज कुमार बताते हैं कि यहां हर रोज आंध्र प्रदेश, बिहार, बंगाल की मछलियां आती हैं. वहीं मछली बाजार के टर्न ओवर के अनुसार पटना की बाजार समिति में लगने वाली मछली मंडी राज्य की सबसे बड़ी मंडी हैं. यहां हर रोज ढ़ाई से तीन करोड़ रुपये तक का कारोबार होता है.
बता दें कि पटना की बाजार समिति करीब 39 एकड़ में फैली है. इसमें मछली मंडी करीब ढाई एकड़ में है और यहां करीब 60 दुकानें अधिकृत हैं. जबकि सड़क के किनारे दुकान खोलने वाले व्यवसायियों को मिलाकर करीब 85 के आसपास दुकानें हैं.
थोक मछली व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष अनुज कुमार कहते हैं कि आंध्र प्रदेश से आने वाली सभी मछलियां मरी हुई आती हैं. अभी ठंड की वजह से मछली कम आ रही हैं. वहीं हाल के समय में केवल आंध्र प्रदेश से हर रोज करीब 15 से 20 ट्रक आते हैं, जिसमें प्रति दिन 130 टन मछलियां आती हैं. इसके साथ ही बंगाल व बिहार से छोटे-बड़े करीब 50 ट्रक से 20 हजार किलो मछली आती है. यहां से आने वाली मछलियां जिंदा रहती हैं.
बिहार सरकार पटना की बाजार समिति को नए रूप में बनाने का काम कर रही है और इसको लेकर आलू व प्याज मंडी के तहत आने वाली कई दुकानों को तोड़ दिया गया है. मछली मंडी के व्यवसायी अनिल सिंह कहते हैं कि अगर सरकार दुकानों को तोड़ देगी तो करीब 70 प्रतिशत तक व्यवसाय पर असर पड़ेगा. अभी कुछ समझ में नहीं आ रहा है. श्याम देव पासवान कहते हैं कि हाल के समय में आलू और प्याज मंडी की दुकानों को तोड़ दिया गया है, जिसके चलते व्यवसायी सड़कों पर व्यवसाय करने को मजबूर हैं. अभी सरकार ने नोटिस नहीं भेजा है लेकिन जब यह दुकानें टूट जाएंगी, उस समय किधर व्यवसाय किया जाएगा. यह एक बड़ी समस्या है. मछली व्यापारी छोटे सहनी कहते हैं कि बाजार समिति भंग होने के बाद से मंडी में बुनियादी सुविधा सही नहीं है. सड़कों पर जलजमाव के कारण हर रोज दिक्कत होती है. इसके साथ टूटी हुई सड़क और गंदगी होने से यहां रहना मुश्किल हो गया है.
मछली मंडी गुरुवार व मंगलवार को छोड़कर हर रोज खुला रहता है. सुबह 4 बजे से 9 बजे तक यानी 6 घंटे के दौरान 3 करोड़ के आसपास मछली का कारोबार हो जाता है. अभी हाल के समय में आंध्र प्रदेश से आने वाली रोहू मछली 140 से 142 रुपये, रूपचन्द 120 से 125, पंगेसियस 108 से 110, कतला 150 रुपये तक बिक रही है. वहीं बंगाल व बिहार से आने वाली जिंदा मछलियों में रोहू 200 से 225, कतला 300 से 325, पंगेसियस 180 से 190 रुपये तक बिक रही है. इसके अलावा सबसे बड़ी मछली में गंगा नदी में मिलने वाली करीब 25 किलो का गोस्टा मछली 400 रुपये किलो बिक रही है. वहीं छोटी मछलियों की मांग बाजारों में देखने को मिल रही हैं.
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