देश में नीली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और मछुआरों के मुद्दों को समाधान और लाभ प्रदान करने के मकसद से केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय द्वारा 19 से 21 फरवरी तक ‘सागर परिक्रमा’ का आयोजन किया जाएगा. वहीं कार्यक्रम के तृतीय चरण की शुरुआत केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने गुजरात के हजीरा पोर्ट से किया. जोकि महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र की ओर बढ़ेगी और उत्तरी महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्रों सतपति, वसई, वर्सोवा, सैसन डॉक और मुंबई के अन्य क्षेत्रों को कवर करेगी. इस कार्यक्रम में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत मत्स्यपालन विभाग और राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड के साथ-साथ मत्स्यपालन विभाग, गुजरात सरकार, महाराष्ट्र सरकार के मत्स्यपालन आयुक्त, भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण, गुजरात समुद्री बोर्ड और मछुआरों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए.
वहीं भारत सरकार के मत्स्य पालन सचिव जतीन्द्र नाथ स्वेन; भारत सरकार के मत्स्यपालन विभाग, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड, भारतीय मत्स्य सर्वेक्षण और भारतीय तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित होकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं. इसके अलावा यात्रा में पूरे देश के राज्य मत्स्य अधिकारी, मछुआरों के प्रतिनिधि, मत्स्य किसान, उद्यमी, हितधारक, पेशेवर, अधिकारी और वैज्ञानिक भी शामिल हुए.
'सागर परिक्रमा' के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
• मछुआरों और अन्य हितधारकों के मुद्दे का समाधान करना और भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न मत्स्यपालन योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से उनके आर्थिक उत्थान को सुनिश्चित करना.
• आत्मनिर्भर भारत की भावना के रूप में सभी मछुआरों, मत्स्य किसानों और संबंधित हितधारकों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करना.
• राष्ट्र की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों के उपयोग के बीच स्थायी संतुलन पर ध्यान देने के साथ मत्स्य पालन को बढ़ावा देना.
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‘सागर परिक्रमा’ के पहले चरण की शुरुआत 05 मार्च 2022 को मांडवी, गुजरात से शुरू हुई और 6 मार्च, 2022 को पोरबंदर, गुजरात में समाप्त हुई. दूसरे चरण की शुरुआत 22 सितंबर 2022 को मांगरोल से वेरावल तक शुरू हुई और 23 सितंबर 2022 को मूल द्वारका से मधवाड़ तक मूल द्वारका में समाप्त हुई. ‘सागर परिक्रमा’ के तीसरे चरण का कार्यक्रम रविवार यानी 19 फरवरी 2023 से सूरत, गुजरात से शुरू होकर 21 फरवरी 2023 को सैसन डॉक, मुंबई में समाप्त होगा.
सागर परिक्रमा की यात्रा देश की खाद्य सुरक्षा और तटीय मछुआरा समुदायों की आजीविका और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को सुरक्षा प्रदान करने के लिए समुद्री मत्स्य संसाधनों का उपयोग करने के बीच स्थायी संतुलन पर केंद्रित होगी, जिससे मछुआरा समुदायों और उनकी अपेक्षाओं के अंतराल को पाटने, मछली पकड़ने वाले गांवों का विकास करने, मछली पकड़ने वासे बंदरगाहों और लैंडिंग केंद्रों जैसी अवसंरचना का अपग्रेड और निर्माण का काम करेगी, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र वाले दृष्टिकोण को अपनाकर सतत और जिम्मेदार विकास सुनिश्चित किया जा सके.
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सागर परिक्रमा कार्यक्रम सभी तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मनाया जाएगा, जिनका मार्ग पहले से ही तय किया गया है जिसमें गुजरात, दीव, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार और लक्षद्वीप द्वीप आदि शामिल है जिससे तटीय मछुआरों की समस्याओं को समझने के लिए इन स्थानों में मछुआरों, मछुआरा समुदायों और हितधारकों के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया जा सके. ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के जीवन की गुणवत्ता और आर्थिक स्थिति में सुधार लाने और आजीविका का ज्यादा अवसर उत्पन्न करने के लिए, भारत सरकार ने सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने वाला एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया है.
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