गौपालन के जरिए आप अपनी जिंदगी संवार सकते हैं. यह एक ऐसा सहारा बन सकता है, जिससे लाख परेशानियों के बाद भी इंसान अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ सकता है. रांची जिले के बुढ़मू प्रखंड अतंर्गत बेड़वारी गांव की महिला किसान सोनिया देवी की ऐसी ही कहानी है, जो अपनी मेहनत के दम पर आगे बढ़ रही है. यह गौपालन की ताकत है कि पति की मौत के बाद सोनिया के पास कोई विकल्प नहीं था. लेकिन, उन्हाेंने हार नही मानी और गौपलन को चुना, इसके बाद से उन्हे पीछे मुड़कर देखने की जरूरत नहीं पड़ी. नतीजतन आज वे मिसाल बन कर उभरी हैं.
सोनिया देवी अपने दो बेटियों के साथ रहती है. दोनों बेटिया अच्छे स्कूल से शिक्षा ग्रहण कर रही है. सोनिया बताती हैं कि पति की मौत के बाद उनके पास मजदूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. घर में सिर्फ भैंस था, पर उसका दूध बेचकर परिवार का गुजारा करना मुश्किल था. इसलिए उन्होंने गौपालन करने का मन बनाया और दो गाय से इसकी शुरुआत की. आज सोनिया देवी के पास छ गायें इसके अलावा बछिया भी है, इसे वो अपना जीवन यापन कर रही है.
सोनिया देवी बताती है कि महिला किसान होने के कारण उन्हें काफी परेशानी होती थी. लेकिन, अब उन्हें आदत हो गई है. हर रोज उनके गौशाला से 50 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होता है. वो गाय से खुद से ही दूध निकालती है और बेचती है. दूध के दाम भी अच्छे मिल मिल जाते हैं. उन्होंने बताया की गांव में ही मेधा डेयरी का कलेक्शन सेंटर खुल जाने से उनके जैसी महिला किसानों को काफी राहत हुई, क्योंकि किसी तरह दूध का उत्पादन कर लेने के बाद उसे गांव में बेचना एक बड़ी समस्या होती है. लेकिन, कलेक्शन सेंटर में दूध के अच्छे दाम मिल जाते है और गांव से बाहर कहीं जाना नहीं पड़ता है.
सोनिया देवी बताती हैं कि आज के समय में चारे की महंगाई बहुत बढ़ गई है. इसके कारण गौपलान करना एक महंगा सौदा हो गया है. चोकर खल्ली से लेकर दर्रा तक सभी की कीमत तीस रुपए प्रति कलो से अधिक हो गई है. दूध के 30 से 35 रुपये प्रति लीटर मिलते हैं. ऐसे में किसान को बहुत अधिक मुनाफा नहीं होता है. उन्होंने बताया कि उनके पास खेत हैं, जिसमें वो खेती करती हैं और घांस उगाती हैं. इसलिए उन्हें गौपालन में फायदा हो जाता है. साथ ही गाय के गोबर का इस्तेमाल जैविक खेती के लिए करती है.
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