सात समंदर पार जाने के बाद भी ना तो खेती करना छूटा और ना ही खेती-किसानी की बातें. हरियाणा से ऑस्ट्रेलिया जाने के बाद वहां भी गांव जैसी चौपाल सजा ली. लेकिन ये चौपाल हरियाणा से जरा हटकर है. अलग इस मायने में कि ये इंटरनेशनल चौपाल है. यहां 70 से ज्याादा देशों के किसान जुटते हैं. इस चौपाल के करीब दो लाख सब्सक्राइवर हैं. यहां किसान एक-दूसरे को देखते और सुनते हैं और ये सब मुमकिन कर दिखाया है हरियाणा के मिंटू बराड़ ने. मिंटू आज ऑस्ट्रेलिया में 120 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फलों की खेती कर रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने पेंडू ऑस्ट्रेलिया नाम से यूट्यूब चैनल बनाकर भारत, पाकिस्तान, अमेरिका, न्यूजीलैंड और जापान आदि के किसानों को जोड़ने की मुहिम शुरू की है. मकसद ये है कि सभी किसान एक-दूसरे के खेती करने के तौर-तरीकों को जानें और अपनाएं.
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मिंटू बराड़ ने किसान तक को बताया कि साल 2007 में मैं जब पहली बार ऑस्ट्रेलिया आया तो मैंने देखा कि एक छोटी सी मोटरगाड़ी से अंगूर के बाग में स्प्रे किया जा रहा है. मतलब ये कि एक बड़े एरिया में बहुत ही कम वक्त में स्प्रे का काम पूरा हो गया. मैंने उसका वीडियो बनाया. उस वक्त सोशल मीडिया नहीं था, लेकिन मैंने जैसे-तैसे करके वो वीडियो भारत भेजा तो लोगों को बहुत पसंद आया. फिर जब सोशल मीडया आया तो मैंने ऑस्ट्रे़लिया में ही इसी तरह के वीडियो बनाने लगा. फिर दूसरे देश के नाम पर सबसे पहले न्यूजीलैंड में वीडियो बनाएं. इस तरह आज 16 देशों के किसानों से मैं मिल चुका हूं और वो मुझे और मेरे चैनल पेंडू ऑस्ट्रेलिया को जानते हैं.
मिंटू बराड़ बताते हैं कि आज किसान भारत-पाकिस्तान का हो या फिर न्यूजीलैंड-कनाडा का, वो खेती में तकनीक बहुत पसंद करता है. यही वजह है कि जब मैंने एयरो पौनिक तकनीक से हो रही खेती का वीडियो बनाया तो वो लोगों को इतना पसंद आया कि देखते ही देखते मिलियन में पहुंच गया. इसी तरह से एक वीडियो मैंने अपने ही खेत का बनाया था. जहां कंबाइन मशीन बाग से अंगूर तोड़ रही है.
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मिंटू बराड़ ने बताया कि ऑस्ट्रेालिया, अमेरिका, कनाड़ा, ब्रिटेन आदि देशों में 100-500 और एक-दो हजार एकड़ में खेती मामूली बात है. यहां ग्रेवाल बंधू, शौकी किंग, हरदेव सिंग ग्रेवाल, संधू ब्रॉदर्स आदि ये वो लोग हैं जो 50 से 80 हजार एकड़ जमीन पर खेती कर रहे हैं. लेकिन इन लोगों ने अपनी जमीन और जड़ को आज भी नहीं छोड़ा है. आज मैं जब इनके इंटरव्यू करता हूं तो मैं इनकी हजारों एकड़ जमीन पर बात करना चाहता हूं और ये लोग लौट फिर कर पंजाब-हरियाणा में मौजूद अपनी 10-12 एकड़ जमीन के बारे में बात करने लगते हैं. गांव की फावड़े वाली खेती के बारे में बताने लगते हैं.
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