सरसों की कीमतों में उतार-चढ़ाव लगातार जारी रहता है. जिस वजह से मंडी में सरसों की कीमतों को लेकर उथल-पुथल लगा रहता है. इसी बीच सरसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे गिरने पर चिंता व्यक्त करते हुए, खाद्य तेल उद्योग निकाय एसईए ने मंगलवार को सरकार से रिफाइंड पाम तेल की खरीद शुरू करने और कीमतों में गिरावट को रोकने के कदमों के तहत आयात को प्रतिबंधित करने की मांग की. सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) ने खाद्य और वाणिज्य दोनों सचिवों को दिए एक प्रतिनिधित्व में कहा है कि थोक बाजार में सरसों की कीमतें 5,450 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी से नीचे गिर गई हैं और आवक दैनिक आधार पर बढ़ रही है.
एसईए के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने कहा, 'कीमतों में और गिरावट से इंकार नहीं किया जा सकता है. 'उन्होंने यह भी कहा कि रिफाइंड पाम ऑयल के बेलगाम आयात से घरेलू खाद्य तेल की कीमतों में गिरावट आई है, जो कटाई के चरम समय पर सरसों के बीज के विपणन को प्रभावित कर रहा है और किसानों को संकट में डाल रहा है. यह कहते हुए कि मूल्य गिरावट किसानों को संकट और वित्तीय नुकसान पैदा कर रही है, उन्होंने कहा: "हमें डर है कि अगर प्रवृत्ति जारी रहती है, तो खाद्य तेलों में 'आतनिरभर्ता' की ओर बढ़ने के हमारे सभी प्रयास प्रभावित होंगे.
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हमें अपने सरसों को किसानों की अनुमति नहीं देनी चाहिए. "उन्होंने सुझाव दिया कि सरकारी एजेंसियों ने इस तरह की नफ़र को सरसों की खरीद के लिए गियर अप किया और सरकार द्वारा घोषित एमएसपी का बचाव किया. उन्होंने कहा, 'हमें लगता है कि रिफाइंड पामोलिन के भारी आयात से न तो हमारे सरसों किसान को मदद मिल रही है और न ही भारतीय रिफाइनिंग उद्योग को.
कीमतों में और गिरावट को रोकने के लिए, एसईए ने सुझाव दिया है कि सरकार रिफाइंड पाम तेल के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी में रखकर या कच्चे पाम तेल (सीपीओ) और पामोलिन के बीच आयात शुल्क के अंतर को कम से कम 20 प्रतिशत तक बढ़ा कर प्रतिबंधित करे. इसके अलावा, सरकार नेफेड जैसी एजेंसियों के माध्यम से एमएसपी पर सरसों की खरीद शुरू कर सकती है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक चालू फसल वर्ष 2022-23 (जुलाई-जून) में तोरिया-सरसों की बुवाई 98.02 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्र में की गई है.
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