केन्द्र् सरकार का विजन है कि साल 2047 तक भारत को विकसित बनाना है. लेकिन, वहीं दूसरी ओर पोल्ट्री सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार के इस विजन में मक्का रोड़ा बन रहा है. हालांकि सुनने में अजीब लगता है, लेकिन पोल्ट्री सेक्टर में मक्का का उत्पादन अहम रोल अदा करता है. लेकिन आज मक्का की हालत ने पोल्ट्री सेक्टर के सामने बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. पोल्ट्री सेक्टर से जुड़ी कई बड़ी एसोसिएशन लगातार सरकार के सामने इस हालत से निपटने के लिए गुहार लगा रही हैं. कई सुझाव भी सरकार को दिए हैं.
गौरतलब रहे बाजार में मक्का के दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी 14-15 सौ रुपये से भी ऊपर बिक रही है. उस पर भी सबसे बड़ी परेशानी ये है कि बाजार में मक्का की कमी भी महसूस होने लगी है. जिसका असर आगे चलकर पोल्ट्री प्रोडक्ट अंडे और चिकन के रेट पर भी पड़ सकता है.
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पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया के ट्रेजर रिकी थापर ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि आज कुल मक्का उत्पादन का 60 फीसद हिस्सा पोल्ट्री फीड के रूप में होता है. बाकी बचे 40 फीसद हिस्से में फूड, कैटल फीड, स्टार्च इंडस्ट्री और इथेनॉल आते हैं. अब इनकी जरूरत को पूरा करने के लिए किसान उत्पादन बढ़ा सकता है. लेकिन ये भी रातों-रात मुमिकन नहीं है. हालांकि सरकार इस मामले में कोशिश कर रही है. लेकिन पोल्ट्री सेक्टर को तुरंत ही कच्चा माल चाहिए होता है. ऐसे में मौजूदा वक्त की जरूरत पूरी करने के लिए मक्का आयात एकमात्र रास्ता है.
रिकी थापर का कहना है कि सभी कारोबारी सेक्टर की तरह से पोल्ट्री सेक्टर भी केन्द्र सरकार के विजन विकसित भारत-2047 के लिए प्रतिबद्ध है. जैसे-जैसे भारत विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा तो भारत के पशुधन उत्पादों की मांग भी कई गुना बढ़ जाएगी. लेकिन अभी पोल्ट्री फीड मक्का की वजह से विकास रुक रहा है. आज भारत में करीब 71 फीसद आबादी किसी न किसी रूप में मीट खाती है. जैसे-जैसे भारतीय ज्यादा संपन्न हो रहे हैं और खाने में एनीमल प्रोटीन की कीमत को समझ रहे हैं तो इसकी डिमांड का बढ़ना पक्का है.
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मक्का और प्रोटीन भोजन की वर्तमान कमी को घरेलू उत्पादन या आयात के माध्यम से पूरा किया जाना चाहिए. क्योंकि आज चिकन, अंडे और मछली के विश्व बाजार में भारत को कड़ी टक्कर कच्चे माल की आपूर्ति से मिल रही है. वो कच्चा माल जो उचित कीमत पर मिलना चाहिए, जो मौजूद वक्त में नहीं मिल रहा है. इसका एक रास्ता जीएम मक्का की खेती को अपनाना और आयात है.
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