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इंटरनेशल म‍िलेट्स ईयर की घोषणा के बाद भारतीय मोटे अनाज को म‍िल रहा बाजार

इंटरनेशल म‍िलेट्स ईयर की घोषणा के बाद भारतीय मोटे अनाज को म‍िल रहा बाजार

मिलेट्स को एक्सपोर्ट करने वाले तमिलनाडु के शिवरामा कृष्ण नम का कहना है कि चार साल पहले हमने अमेरिका में भारतीयों को खिलाना शुरू किया था. लेकिन अब अमेरिका के लोग भी इसे खाने लगे हैं. यही हाल खाड़ी देशों का भी है.

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पूसा में हुआ श्री अन्ना कार्यक्रम. पूसा में हुआ श्री अन्ना कार्यक्रम.

त्रिची, तमिलनाडु के रहने वाले शिवरामा कृष्णनम जर्मनी-अमेरिका समेत खाड़ी के देशों में मिलेट्स यानि मोटे अनाज एक्सपोर्ट कर रहे हैं. शिव का कहना है कि जब से पीएम नरेन्द्र मोदी की पहल के बाद यूएन ने 2023 को इंटरनेशन ईयर ऑफ मिलेट्स मनाने की घोषणा की है. तब से यूरोपीय देशों से भी म‍िलेट्स एक्सपोर्ट के ल‍िए फोन आने लगे हैं. वहां भी लोग पूछ रहे हैं कि मिलेट्स को हम अपने खाने में कैसे शामिल कर सकते हैं और इसके क्याा फायदे हैं. हाल ही में जर्मनी से भी एक आर्डर मिला है. वहीं वे बताते हैं क‍ि अमेरिका और खाड़ी देशों में पहले से ही मोटे अनाज एक्स पोर्ट हो रहे हैं और वो इसे नाश्ते में खा भी रहे हैं. 

मिलेट्स पर बात करते हुए शिवरामा कृष्णथनम ने बताया कि डिमांड बढ़ने के साथ ही किसानों ने मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने के बारे में सोचना शुरू कर दिया है. खासतौर से छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा के किसान अपना माल बेचने के लिए मुझे फोन करते हैं. उत्पादन बढ़ाने का अपना प्ला‍न भी बताते हैं. इसमे किसानों को भी एक उम्मीद नजर आ रही है.   

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यूरोप में मिलेट्स की ऐसे चल रही तैयारी 

शिवरामा कृष्णकनम और उनकी पत्नी अनुराधा बिलिस ट्री के नाम से कंपनी चला रहे हैं. उनकी यह कंपनी बीते सात साल से काम कर रही है, लेकिन चार साल से वो मिलेट्स एक्सपोर्ट कर रहे हैं. किसान तक से बात करते हुए शिव ने बताया कि जब देश में मिलेट्स ईयर मनाने की घोषणा हुई तो उसके साथ ही यूरोपीय देशों से फोन आना शुरू हो गए.

हर कोई यह जानना चाहता है कि वो अपने देश में मिलेट्स को खाने में कैसे शामिल कर सकते हैं और इसके फायदे क्या होंगे. हम लगातार उनसे बातचीत कर रहे हैं. अब हम उनके यहां की खाने से जुड़ी टेक्नोलॉजी ले रहे हैं. उसी के मुताबिक हम उन्हें  मिलेट्स से बनी खासतौर पर ग्लूटोन फ्री खाने की चीजें एक्सपोर्ट करेंगे.

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शिव ने बताया कि यूएसए हो या यूरोपियन देश, सब खाने में ऐसी चीजों को शामिल करते हैं कि जिन्हें खाने के बाद उन्हें अस्पताल न जाना पड़े. मतलब कि वो बीमार न पड़ें. वहां के लोग महंगी-महंगी मेडिकल सर्विस से बचना चाहते हैं. शायद यही वजह है कि हम पहली बार जर्मनी में मिलेट्स से बने सामान एक्सपोर्ट करने जा रहे हैं.

अमेरिका-खाड़ी देश नाश्ते में खूब खा रहे मिलेट्स 

शिव का कहना है कि अमेरिका और खाड़ी देशों में मिलेट्स खासतौर पर नाश्ते में खाए जा रहे हैं. ब्रेड, पेन केक हो या मूसली और दूसरे आइटम सब मिलेट्स से बनाए जा रहे हैं. अब तैयारी यह चल रही है कि नाश्ते के अलावा मिलेट्स को खाने में कैसे शामिल किया जाए. यूरोपीय देशों ने भी नाश्ते के साथ ही खाने में इसे शामिल करने के बारे में पूछा है.   

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