देशभर के बहुत सारे राज्यों में तापमान 40 डिग्री को पार कर चुका है. चढ़ते तापमान के चलते इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षी भी बैचेन हो गए हैं. ऐसे में दुधारू पशुओं को बहुत खास देखभाल की जरूरत होती है. बीमारी के दौरान जरा सी भी लापरवाही उनके लिए जानलेवा हो सकती है. अगर बकरे-बकरियों की बात करें तो गर्मियों में उन्हें जल्दी डायरिया और डिहाइड्रेशन की परेशानी होती है. लेकिन ये कोई जरूरी नहीं है कि बकरी का चेकअप होने के बाद ही पता चले कि उसे डायरिया और डिहाइड्रेशन है.
अगर आप अपने बकरे-बकरियों पर लगातार नजर रखते हैं तो आप बड़ी ही आसानी से उनकी इस परेशानी का पता लगा सकते हैं. केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा के साइंटिस्ट की मानें तो सिर्फ बकरी की मेंगनी और उसके यूरिन को देखकर ही डायरिया और डिहाइड्रेशन जैसी बीमारी का पता लगाया जा सकता है. ऐसे में डॉक्टर के पास जाने से पहले मेंगनी और यूरिन की जांच भी कराई जा सकती है.
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सीआईआरजी के प्रिंसीपल साइंटिस्ट डॉ. आरएस पवैया ने किसान तक को बताया कि अगर बकरी गोल, चमकदार और सॉलिड मेंगनी कर रही है तो समझ लिजिए कि आपकी बकरी का पेट बिल्कुल ठीक है. मतलब बकरी हेल्दी है. लेकिन, अगर बकरी की मेंगनी आपस में चिपकी हुई और गुच्छे की शक्ल में आ रही है तो फौरन अलर्ट हो जाइए कि आपकी बकरी बीमार होने वाली है. अगर मेंगनी पेस्ट जैसी हो रही है तो यह तय मान लिजिए कि बकरी की आंत में किसी न किसी तरह का इंफेक्शन हो चुका है. या फिर बकरी डायरिया की चपेट में आ चुकी है. ऐसे में सबसे पहला काम यह होना चाहिए कि पशुपालक उन मेंगनी को एक जिप वाली पॉलीथिन में भरकर पशु चिकित्सा से जुड़ी किसी लैब में ले जाकर उसकी जांच कराए.
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डॉ. आरएस पवैया ने यह भी बताया कि यूरिन की निगरानी से भी बहुत सारी बीमारियां पहले से पता चल जाती हैं. पशुपालकों को हमेशा या याद रखना चाहिए कि अगर बकरी का यूरिन भूसे यानि हल्के पीले रंग का है तो वो सामान्य है. अगर गहरे पीले रंग का यूरिन आ रहा है तो इसका मतलब बकरे-बकरी ने पानी कम पिया है और उन्हें डिहाइड्रेशन है. और अगर यह रंग और ज्यादा गहरा पीला हो जाए और उसमे लालपन आने लगे तो समझ जाइए कि बकरी और बकरे के यूरिन की जगह पर कोई चोट लगी है. और अगर कभी यूरिन कॉफी कलर का आने लगे तो समझिए कि उसके खून में इंफेक्शन है. ऐसे हालात में बकरी को फौरन ही किसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए.
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