देश के कई राज्यों में इस साल मॉनसून की बारिश बहुत ही कम हुई है. मॉनसून के बीच में महाराष्ट्र खतरनाक सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है. महाराष्ट्र के 13 से अधिक जिलों में 50 प्रतिशत से कम बारिश हुई है. वहीं 15 जिले ऐसे हैं जहां 70 प्रतिशत से कम बारिश हुई है. कई बड़े बांधों और सिंचाई परियोजनाओं में भी पर्याप्त पानी का स्टॉक नहीं है. वहीं दो हजार से ज्यादा गांव मॉनसून में पीने के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं. इसलिए अभी स्थिति चिंताजनक है. बारिश की कमी की समस्या को समझने के लिए INDIA TODAY ने मराठवाड़ा और पश्चिमी महाराष्ट्र में स्थिति का जायजा लिया है.
पिंपलगांव चिटे गांव संभाजीनगर (औरंगाबाद) मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर है. यहां के किसानों को उम्मीद थी कि उनकी खरीफ फसल को अच्छी बारिश का सहारा मिलेगा. किसानों को उम्मीद थी कि बारिश अच्छी होगी तो फसलें भी अच्छी होंगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिससे किसान परेशान हैं.
यहां एक किसान हैं चरणसिह नांगलोट जिनके पास करीब सात एकड़ जमीन है. उन्होंने अपनी जमीन में कपास, सोयाबीन और बाजरा की बुवाई की है. किसान पूरी तरह से खेती पर निर्भर हैं. उन्हें अच्छी बारिश की उम्मीद थी. लेकिन पिछला महीना पूरी तरह सूखा बीता, जिससे अब उनकी फसल मरने लगी है. उनके खेत के बने कुएं में पानी नहीं है. वहीं बीमा कंपनी ने अभी तक उन्हें घाटे का भुगतान नहीं किया है. उन्हें उम्मीद है कि सरकार आधिकारिक तौर पर सूखे की घोषणा करेगी और उन्हें कुछ राहत मिलेगी.
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इस जिले में चरणसिंह अकेले ऐसे किसान नहीं हैं, जिनकी खरीफ की लगभग सारी फसल बर्बाद होने की कगार पर है. चरणसिंह के अलावा भी कई किसानों की फसलें खराब हो रही हैं. ये सभी किसान रोजी रोटी के लिए परेशान हैं. कृषि विभाग के मुताबिक पिछले साल की तुलना में महाराष्ट्र के बांधों में 50 फीसदी पानी जमा है. पानी का यह स्टॉक साल भर के लिए पर्याप्त नहीं है. इसका रबी और अन्य नकदी फसलों पर खराब प्रभाव पड़ सकता है.
उझनी महाराष्ट्र के सबसे बड़े बांधों में से एक है. इसकी भंडारण क्षमता लगभग 112 टीएमसी है, लेकिन अभी भी उझनी में मात्र 20 प्रतिशत जल भंडारण है. वहां की 40 से अधिक चीनी मिलें उझनी के पानी पर निर्भर हैं. चूंकि इस क्षेत्र में गन्ना उनकी प्रमुख फसल है, इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि इसका असर किसानों के उत्पादन पर भी पड़ेगा.
औरंगाबाद क्षेत्र के बांधों में मात्र 31.65 फीसदी जल भंडारण है. नासिक क्षेत्र में लगभग 57 प्रतिशत जल भंडार है. वहीं पुणे क्षेत्र में 68 फीसदी पानी का भंडार है. इसलिए पानी की कमी के साथ लोगों का रहना मुश्किल होगा. बुधवार को महाराष्ट्र कैबिनेट ने भी स्थिति का जायजा लिया और जिलाधिकारियों और कृषि अधिकारियों को जरूरतमंद किसानों की मदद के लिए तैयार रहने को कहा. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि वे किसानों के प्रति प्रतिबद्ध हैं और वे सुनिश्चित करेंगे कि समय पर राहत मिले.
(अभिजीत खरांदे की रिपोर्ट)
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