भारत में बहुत जल्द अब रबी सीजन की बुवाई का समय शुरू होने वाला है और इस साल मॉनसून में हुई अच्छी बारिश का किसानों को काफी फायदा मिलने वाला है. किसान रबी सीजन में गेहूं, सरसों और अन्य कुछ फसलों की खेती प्रमुखता से करेंगे. सरकार तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय मिशन भी चला रही है. इसके लिए सरकार किसानों को सरसों और अन्य तिलहनी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इस बीच, बुवाई सीजन शुरू होने से पहले केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने सरसों किसानों को पैदावार और मुनाफा बढ़ाने के लिए एक सुझाव दिया है.
कृषि मंत्रालय ने सरसों किसानों को FIRB (Furrow Irrigated Raised Bed) तकनीक से सरसों की खेती करने का सुझाव दिया है. FIRB एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें मिट्टी और पानी प्रबंधन काफी अच्छे तरीके से होता है. इसमें फसल की बुवाई ऊंची क्यारियों पर की जाती है और बीच में नालियां छोड़ी जाती हैं. इस प्रणाली से इससे पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है और 33 फीसदी तक पानी की बचत होती है. वहीं, इससे लगभग 10 फीसदी ज्यादा पैदावार भी मिलती है
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, FIRB प्रणाली को खासकर तिलहन में सरसों, कुछ दलहन और गेहूं जैसी फसलों में अपनाया जाता है, जो पानी की बचत और ज्यादा पैदावार लेने के लिहाज से एक बढ़िया तकनीक है. कृषि मंत्रालय ने अपनी सलाह में किसानों को ज्यादा पैदावार वाली और जलवायु अनुकूल किस्मों की खेती करने का सुझाव दिया है.
यह किस्म बड़ी फलियों और अधिक तेल की मात्रा के लिए प्रसिद्ध है. किसानों में यह एक लोकप्रिय और भरोसेमंद किस्म मानी जाती है.
रोहिणी सरसों की एक जल्दी पकने वाली सरसों की किस्म है, जो कम पानी की उपलब्धता में भी अच्छा उत्पादन देने में सक्षम है.
सरसों की यह किस्म सफेद रतुआ और झुलसा जैसे रोगों के प्रति सहनशील है, जिससे फसल का नुकसान कम होता है.
ये दोनों किस्में उच्च उत्पादन क्षमता वाली हैं और बाजार में किसानों को इनके बेहतर दाम मिलते हैं.
बता दें कि केंद्र सरकार तिलहन के लिए राष्ट्रीय मिशन के तहत तिलहन का उत्पादन बढ़ाकर विदेशों से आयात होने वाले खाद्य तेल के आयात को कम कर आत्मनिर्भरता हासिल करना चाहती है, ताकि देश का बाहर खर्च होने से बचे और इसका फायदा देश के किसानों को मिले.
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