उत्तर प्रदेश में कैसे बढ़ी पिपरमेंट की खेती, सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताई ये बड़ी वजह

उत्तर प्रदेश में कैसे बढ़ी पिपरमेंट की खेती, सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताई ये बड़ी वजह

UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि एनबीआरआई ने जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए 9 लाख एकड़ भूमि पर किसानों को जैविक खाद उपयोग के लिए प्रेरित किया. सीडीआरआई नई दवाओं के शोध पर काम कर रहा है, जिससे फार्मा पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क को बढ़ावा मिल रहा है.

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उत्तर प्रदेश में कैसे बढ़ी पिपरमेंट की खेती, सीएम योगी आदित्यनाथ ने बताई ये बड़ी वजहउत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के किसान पिपरमेंट यानी मेंथा की खेती में भी अपनी अलग पहचान बना रहें हैं. इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में आयोजित सीएसआईआर स्टार्टअप कॉन्क्लेव 2025 के समापन समारोह के अवसर पर कहा कि प्रदेश में पिपरमेंट की खेती में बहुत तेजी से बढ़ी है. मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि सीमैप के वैज्ञानिकों के द्वारा पिपरमेंट की खेती को बढ़ावा देने के लिए पहल की जा रही है. वहीं बाराबंकी पिपरमिंट की खेती का मुख्य केंद्र बना हुआ हैं. जबकि मुरादाबाद, आमरोहा, संभल और बिजनौर में आज बड़े पैमाने में किसान पिपरमेंट की खेती कर रहे हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जनपदों में, विशेषकर अवध क्षेत्र में भी, इसकी खेती की जा रही है. 

उत्तर प्रदेश में स्पिरिचुअल टूरिज्म का हब

योगी ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में स्पिरिचुअल टूरिज्म का हब है. यहां मंदिर, मठ और पौराणिक स्थल है. वहां पर धूप और अगरबत्ती जैसी सुंगधित प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के लिए सीमैप ने बहुत सुंदर कार्य कर रही है. इससे किसानों की आय में बहुत बड़ा इजाफा हुआ है. आज हजारों की संख्या में किसान पिपरमिंट की खेती को बढ़ावा दे रहे है.

प्रगतिशील किसानों के प्रयासों से आया बदलाव

सीएम ने हेल्थकेयर, एग्री, बायोटेक, ब्यूटी और एन्वायरनमेंट जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप्स ने उल्लेखनीय कार्य किया है. प्रगतिशील किसानों के प्रयासों से अन्य किसानों का जीवन भी बदल रहा है. पहले अनुसंधान लैब तक सीमित रह जाता था, लेकिन अब ‘लैब टू लैंड’ और ‘लैब टू इंडस्ट्री’ की दिशा में काम हो रहा है. यही सहयोगी भावना स्टार्टअप्स को बाजार से जोड़ेगी और उनकी सफलता तय करेगी.

जैविक खेती को मिला बढ़ावा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि एनबीआरआई ने जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए 9 लाख एकड़ भूमि पर किसानों को जैविक खाद उपयोग के लिए प्रेरित किया. सीडीआरआई नई दवाओं के शोध पर काम कर रहा है, जिससे फार्मा पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क को बढ़ावा मिल रहा है. आईआईटीआर ने आर्सेनिक और फ्लोराइड की समस्या वाले क्षेत्रों में महत्वपूर्ण शोध किया है, वहीं सीमैप ने पिपरमिंट और स्पिरिचुअल टूरिज्म से जुड़े उत्पादों पर नई दिशा दी है. दो दिवसीय इस स्टार्टअप कॉन्क्लेव ने न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के स्टार्टअप इकोसिस्टम को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की है.

पिपरमेंट की खेती का मुख्य सीजन फरवरी से मार्च

लखनऊ के जिला कृषि अधिकारी तेग बहादुर सिंह बताते है कि पिपरमेंट का मुख्य सीजन लगाने का फरवरी से मार्च होता है. बोवाई से 75 से 90 दिनों के बीच यह तैयार हो जाता है. किसान इसकी पहली कटिंग करके इसकी दूसरी और तीसरी कटिंग भी कर सकता है 3-3 महीने के अंतराल पर. पहली कटिंग में भरपूर तेल की मात्रा मिलेगे और फिर दूसरी और तीसरी कटिंग में इसकी मात्रा कम हो जाती है.

पिपरमेंट की खेती आज किसानों के लिए लाभकारी विकल्प

इस फसल में भी पानी की मात्रा बहुत लगती है. लेकिन किसान को इसमे मुनाफा अच्छा होता है. उन्होंने कहा कि पिपरमेंट (मेंथा) की खेती आज किसानों के लिए एक बड़ा लाभकारी विकल्प बन गई है. इसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं, तेल निर्माण और अन्य उद्योगों में बड़े पैमाने पर किया जाता है. 

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