देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र के अलावा राज्य सरकारों के द्वारा भी किसानों को बढ़ावा दिया जा रहा है. इसके अलावा प्राकृतिक खेती किसान कैसे करें उसके बारे में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है. इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र, तापी (गुजरात) जोकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित है और नवसारी कृषि विश्वविद्यालय, नवसारी, गुजरात द्वारा संचालित किया जाता है. इस केंद्र द्वारा तापी जिले के विकास अधिकारी डॉ. डी.डी. कपाड़िया की अध्यक्षता में 'केवीके के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना' पर एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें तापी जिले के 200 से अधिक पुरुष और महिला किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया.
जिला अधिकारी डॉ. डी.डी. कपाड़िया ने जैविक खेती के लिए केवीके तापी द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की और कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए आह्वान के अनुसार प्रत्येक तालुका में कम से कम 75 किसान ऐसे होने चाहिए जो जैविक खेती करते हों. डॉ. कपाड़िया ने किसानों को भारत सरकार द्वारा "इंटरनेशन मिलेट ऑफ द ईयर- 2023" मनाने के पीछे के उद्देश्य के बारे में भी विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि तापी जिले में निजार गोटी ज्वार का चयन "एक जनपद एक उत्पाद" के रूप में किया गया है. उन्होंने ज्वार किसानों से भी बातचीत की और उनकी मंडीकरण व्यवस्था पर चर्चा की.
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कार्यक्रम के प्रारंभ में डॉ. सी.डी. पंड्या, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख, केवीके-तापी ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों का स्वागत किया और कार्यक्रम के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि रसायनों के अंधाधुंध और अविवेकपूर्ण उपयोग ने कृषि फसलों की उर्वरता और उत्पादकता को कम कर दिया है. अगर हम प्राकृतिक खेती को अपना लें तो इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.
प्रो. कुलदीप राणा, वैज्ञानिक (क्रॉप प्रोडक्सन) ने तापी जिले में प्राकृतिक खेती, इसके लाभ और अवसरों के बारे में विस्तार से बताया. डॉ. एच.आर. जादव, वैज्ञानिक (क्रॉप प्रोटेक्शन) ने प्राकृतिक खेती के माध्यम से उगाई जाने वाली फसलों में कीट और रोग का नियंत्रण कैसे करें, उसके बारे में बताया. घनश्याम ढोले, डीपीडी, आत्मा-तापी ने प्राकृतिक खेती के लिए आत्मा प्रोजेक्ट की अलग-अलग योजनाओं के बारे में बताया. वहीं पीयूष चौधरी, सहायक निदेशक कृषि-वलोद प्रखंड ने किसान समुदाय के हित में चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी.
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इस कार्यक्रम में वलोद प्रखंड के देगामा गांव के प्रगतिशील किसान जयेशभाई पटेल ने अपने खेत में प्राकृतिक खेती करने के अपने अनुभव को किसानों के साथ साझा किया. वहीं कार्यक्रम में उपस्थित सभी किसानों ने केवीके-तापी में प्राकृतिक खेती के डेमो प्लाट का दौरा किया और प्राकृतिक खेती को लेकर जागरूक हुए.
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